दुःखद ख़बर : नहीं रहे हर- दिल- अज़ीज सोलेन दा, पूरा समाज शोकाकुल
बांका लाइव ब्यूरो : प्रकृति का नियम है.. ‘जो आता है, उसे जाना होता है’। प्रत्येक घटनाक्रम का समय निर्धारित है। लेकिन कई बार कुछ ऐसी शख्सियतें होती हैं जिनके जाने पर गम का पारावार नहीं रहता। ऐसी ही शख्सियतों में शुमार थे बांका के हर दिल अजीज सोलेन दा, जो आज हम सबके बीच नहीं रहे। उनका महाप्रयाण मंगलवार को तड़के करीब 3:00 बजे के आसपास हुआ।
सोलेन दा यानी शैलेंद्र कुमार सिन्हा। बांका शहर के कचहरी रोड स्थित पुरानी ठाकुरबाड़ी के समीप के निवासी सोलेन दा को न सिर्फ बांका शहर बल्कि जिले भर के ज्यादातर हिस्से में कौन नहीं जानता, वे आज इस धरा को छोड़कर विदा ले लिए।
उनके महाप्रयाण से पूरा समाज शोकाकुल है। एक खास विशिष्टता को अपने जीवन का मिशन बनाए रखने वाले सोलेन के हाथों हजारों लोगों को मुक्ति मिली। सुख में सभी खड़े रहते हैं। लेकिन वह एक ऐसी शख्सियत थे जो लोगों के दुख में शामिल हो जाते थे। बिना शर्त.. बिना पूछे!
उनकी विदाई से पूरा समाज शोकाकुल है। हो भी क्यों ना! समाज ने अपना एक स्तंभ खो दिया है। सोलेन दा ने अपने जीवन काल में हजारों दिवंगत आत्माओं को सद्गति दी। सैकड़ों ऐसे लोग भी उनमें शामिल रहे जिनका कोई नहीं रहा। लावारिस लाशों को मुक्ति देने के उनके अभियान को लेकर उनकी खूब सराहना होती रही। वह सच्चे अर्थों में सामाजिक प्राणी रहे।
81 वर्षीय सोलेन दा बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक के लिए दादा ही रहे। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पिछले करीब एक माह से वह कुछ ज्यादा ही अस्वस्थ थे। मंगलवार को आधी रात उनकी तबीयत बिगड़ी तो परिवार के लोग उन्हें बेहतर इलाज के लिए भागलपुर ले जाने की कवायद में थे। लेकिन इसी बीच करीब 3:00 बजे उन्होंने इस धरती को अलविदा कह दिया।
खास बात यह कि सोमवार को ही उनके मुजफ्फरपुर वाले समधी का भी निधन हुआ था। उनका एक पुत्र सोनी वहीं गया हुआ था जिसे सूचना मिलते ही सुबह करीब 4:00 बजे उसे बांका लौटना पड़ा। सोलेन दा अपने पीछे पत्नी और अपने चार पुत्रों सुधो, मुकेश, मुनमुन और सोनी का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर सुनते ही सुबह-सुबह शहरवासियों ने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर का रुख कर लिया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में शोकाकुल समाज उनकी अदब में खड़ा हो गया। मंगलवार को शाम तक उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।