बांका : बांका के वरिष्ठतम वकील विमलेंद्र नाथ मुखर्जी उर्फ़ सुधा बाबू के निधन पर शोक संवेदनाओं का सिलसिला जारी है। बांका शहर के नयाटोला निवासी 90 वर्षीय अधिवक्ता विमलेंद्र नाथ मुखर्जी बांका कोर्ट, अधिवक्ता संघ एवं अपने मुवक्किलों व अधिकारियों के बीच सुधा बाबू के नाम से लोकप्रिय थे। वह काफी दिनों से अस्वस्थ थे। गत बुधवार को उनका यहां निधन हो गया।
स्वर्गीय मुखर्जी अपने पीछे एक पुत्र एवं एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके पुत्र अंबर मुखर्जी भी बांका कोर्ट में अधिवक्ता हैं। उनके एक अन्य पुत्र बैंक अधिकारी शंकर मुखर्जी का कुछ वर्ष पूर्व ही निधन हो गया था। अंबर मुखर्जी ने बताया कि लॉक डाउन की वजह से पिता के अंतिम संस्कार के लिए सिर्फ 10 लोगों को साथ जाने की अनुमति प्रशासन से उन्हें मिली। बहरहाल, अंतिम संस्कार संपन्न हो गया है। इस बीच सुधा बाबू के निधन पर शोक संवेदनाओं का सिलसिला जारी है।
सुधा बाबू का परिवार कई पीढ़ियों से वकालत के पेशे में है। उन्होंने वर्ष 1953 में बांका कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की थी। 50 वर्ष पूरे होने पर पटना हाईकोर्ट में उन्हें बुलाकर सम्मानित किया गया था। 60 वर्ष पूरे होने पर भी बांका में उन्हें पटना उच्च न्यायालय के एक माननीय न्यायाधीश द्वारा सम्मानित किया गया। वह बांका जिला लाइब्रेरी क्लब के 40 वर्षों तक सचिव भी रहे। वह बांका जिला विधिज्ञ संघ में भी लंबी अवधि तक विभिन्न प्रमुख पदों पर आसीन रहे।
सुधा बाबू के पुत्र अधिवक्ता अंबर मुखर्जी के मुताबिक वे मूल रूप से बांका तथा भागलपुर की सीमा पर स्थित भागलपुर जिले के केलापुर कजरेली के रहने वाले थे। उनके दादा स्वर्गीय नील मोहन मुखर्जी एवं पिता अनोदा चरण मुखर्जी भी पेशे से वकील थे। सुधा बाबू के निधन पर बांका शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं- कार्यकर्ताओं सहित अधिवक्ताओं एवं न्यायिक पदाधिकारियों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।