एसकेपी विद्या विहार राजपुर, जहां कायम है गुरुकुल जैसा शैक्षणिक माहौल
BANKA : बांका जिले के शैक्षणिक परिदृश्य में एसकेपी विद्या विहार का अहम स्थान है। गुरुकुल जैसे माहौल में देश की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप उच्च मानकों पर आधारित शिक्षा के लिए चर्चित यह शिक्षण संस्थान बांका जिला अंतर्गत अमरपुर प्रखंड के राजपुर में अवस्थित है। अपनी स्थापना के 29 वर्षों में इस पब्लिक स्कूल ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में जो उच्च मानदंड स्थापित किए हैं, उसने इसे बांका जिले का गौरव बना दिया है।
दरअसल, इस विद्यालय की स्थापना ही क्षेत्र में विशुद्ध भारतीय परंपरा और मानदंडों पर आधारित शिक्षा के सृजन के लिए की गई थी। विद्यालय की स्थापना राजपुर गांव निवासी प्रखर विद्वान एवं शिक्षाविद स्वर्गीय वृकोदर प्रसाद सिंह की प्रेरणा और उन्हीं के प्रयास से 21 फरवरी 1992 ईस्वी को शुभ मुहूर्त में हुई थी। इस विद्यालय का औपचारिक शुभारंभ पीठाधीश्वर शंकराचार्य के हाथों हुआ था।
एसकेपी विद्या विहार की अब हालांकि भागलपुर, देवघर सहित कई प्रमुख शहरों में कई शाखाएं हैं, लेकिन गृह क्षेत्र राजपुर स्थित मूल शिक्षण संस्थान की बात ही अलग है। यहां शिक्षा के जिन मानदंडों का सपना स्वर्गीय वृकोदर प्रसाद सिंह ने देखा था, उसे इस विद्यालय के प्रबंधन और संचालन से जुड़ी टीम आज पूरी तरह साकार कर चुकी है।
एसकेपी विद्या विहार राजपुर सीबीएसई नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है। यहां प्रथम वर्ग से इंटरमीडिएट तक की अंग्रेजी- हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है। यहां सह शिक्षा प्रणाली कायम है। इस विद्यालय में कुल 700 छात्र-छात्राएं शिक्षा अध्ययन कर रहे हैं। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इसी विद्यालय के विशाल परिसर में बने सुसज्जित छात्रावासों में रहकर पढ़ाई करते हैं। विद्यालय में साइंस की प्रायोगिक शिक्षा के लिए अनेक सुसज्जित प्रयोगशालाएं हैं। विभिन्न विषयों के उच्च योग्यता धारी शिक्षक यहां बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं।
बेहद शांत, सुरम्य और प्राकृतिक वातावरण में स्थित विशाल एसकेपी विद्या विहार परिसर में शैक्षणिक मकसद से नियमित योग, प्राणायाम, खेलकूद, डिबेट, सेमिनार, विज्ञान प्रदर्शनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। समय-समय पर पर्व त्यौहार एवं महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि आदि का भी आयोजन सामान्य एवं सहकार के माहौल में होते हैं। बौद्धिक के साथ-साथ यहां शारीरिक शिक्षा के लिए भी विशेष प्रबंध है। विद्यालय में बकायदा फिजिकल क्लासेस होते हैं और इनके लिए सुविज्ञ टीचर भी रखे गए हैं।
विद्यालय की परंपरा और एकेडमिक माहौल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि करीब ढाई सौ छात्रों के लिए जो चार छात्रावास हैं, उनके नाम साकेत, आरुणि, भारद्वाज एवं एकलव्य हैं। जबकि 70 छात्राएं जिस छात्रावास में रहती हैं उसका नाम विद्या की देवी सरस्वती के नाम पर रखा गया है। छात्रावासों में रहने वाले छात्र छात्राओं के लिए विशेष अनुशासन निर्धारित है जिस का संचालन स्वयं विद्यालय के अनुभवी शिक्षक करते हैं।
एसकेपी विद्या विहार राजपुर के प्राचार्य मानस पाठक ने बताया कि अपनी स्थापना के 29 वर्षों में इस विद्यालय ने काफी प्रतिष्ठा अर्जित की है। यही वजह है कि आज इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में कोलकाता, पटना, रांची, उत्तर बिहार के कई जिलों तथा झारखंड से भी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हैं। विद्यालय का रिजल्ट निरंतर बेहतर होता रहा है। यही वजह है कि इस विद्यालय की प्रतिष्ठा लगातार बढ़ी है और अभिभावक भी एसकेपी विद्या विहार की शिक्षा के जरिए अपने बच्चों का बेहतर भविष्य देखते हैं।