बांका लाइव डेस्क : वह तो ईश्वर की कृपा रही, वरना बांका आज खबरों की नेशनल हेडलाइंस की सुर्खियों में रहता। जिले के शंभूगंज प्रखंड के एक छोटे से गांव घोषपुर में मंगलवार को एक बहुत बड़ा हादसा ईश्वर की कृपा से छोटे दायरे में सिमट कर रह गया। इस गांव के मंगिया बांध में मंगलवार की सुबह हुए जिस हादसे में 4 मासूम बच्चियों की मौत हुई, अगर ईश्वर का साथ नहीं होता तो यह संख्या डेढ़ दर्जन से ज्यादा का हो सकता था।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक भाई बहन के अनूठे और पवित्र प्रेम को परिभाषित करने वाले पारंपरिक लोक पर्व करमा धरमा की इलाके में धूम थी। मंगलवार को नहाय खाय का अनुष्ठान है। जबकि बुधवार को इस पर्व का मुख्य पूजन और व्रत है। नहाय खाय के के अनुष्ठान के लिए पारंपरिक तौर पर व्रती बहनें नदियों, तालाबों और सरोवरों में स्नान के लिए जाती हैं। सो घोषपुर गांव की भी करीब 70 बहनें स्नान के लिए गांव से बाहर मंगिया बांध में गई थीं।
बांध में अथाह जल राशि थी और घाट का कोई बंदोबस्त नहीं था। जैसे-तैसे लड़कियां और औरतें कीचड़ वाले दलदली घाटों पर स्नान के लिए बांध में उतरीं और तकरीबन 15 से 20 बच्चियां नहाने के दौरान बांध की अथाह जल राशि में डूबने लगीं। इसी दौरान उन्होंने शोर मचाया। आसपास मौके पर मौजूद लोगों ने फुर्ती दिखाई और उनमें से चार को छोड़कर बाकी को किसी तरह पानी से निकाल लिया। 4 बच्चियां निकाली नहीं जा सकीं और उनकी मौत हो गई।
मंगलवार के हादसे में बांध में डूबने से हुई मौत की शिकार एक बच्ची 14 वर्षीय ताप्ती कुमारी के भाई नमित कुमार ने भी घटना का पूरा ब्यौरा बांका लाइव को बताया। उन्होंने कहा कि बांध में 70 बच्चियां नहाने गई थीं। इनमें से 55 के आसपास बच्चियां तो सुरक्षित रहीं, लेकिन बाकी 15-20 बच्चियां बांध में डूब गईं। 4 को छोड़कर बाकी को निकाल लिया गया। चार बच्चियों की डूबने से मौत हो गई। उन्हीं में एक उनकी बहन ताप्ती कुमारी भी शामिल है। अगर ईश्वर की कृपा नहीं होती और आसपास के लोगों ने फुर्ती नहीं दिखाई होती तो इस हादसे में होने वाली मौतों का आंकड़ा डेढ़ दर्जन तक हो सकता था।