नहीं रहीं स्वाधीनता की पुजारन सिया देवी, 85 वर्ष की उम्र में किया महाप्रयाण
सिया देवी माधवपुर (खगड़िया) निवासी स्वतंत्रता सेनानी स्व. राम नारायण सिंह की धर्मपत्नी थीं. वे एक देशभक्त एवं धार्मिक महिला थीं. उनके दोनों हाथ का गोदना भी इसका सूचक था. उन्होंने अपने बाएं हाथ में ‘जय हिन्द’ एवं दाएं हाथ में ‘सिताराम’ (सीताराम) लिखवाया था. गोदना वाला बाएं हाथ में उनके पति का नाम लिखवाने बोल रहा था. लेकिन सिया देवी ने ‘जय हिन्द’ लिखवाया, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके स्वतंत्रता सेनानी पति ‘अपने नाम’ से अधिक ‘जय हिन्द’ देखकर प्रसन्न होंगे. इससे हम उस समय ‘जय हिन्द’ की महत्ता एवं लोकप्रियता का सहज ही अनुमान लगा सकते हैं.
आज जबकि ‘देशभक्ति’ को लेकर राजनीति हो रही है, तो सिया देवी जैसी घरेलू ग्रामीण महिलाएं हमारी प्रेरणास्रोत हो सकती हैं. सिया देवी की धार्मिकता भी प्रेरणादायी हैं. वे हिन्दू धर्म के सभी कर्मकांडों का पालन करती थीं. तबियत खराब होने के बावजूद गंगास्नान करती थीं, शिवालय जाती थीं और जीतिया आदि सभी व्रत करती थीं. लेकिन उनका गैरधर्मावलंबियों के प्रति भी प्रेम था. उनके पति के सहकर्मी स्वतंत्रता सेनानी मियां सादिक नवाद अक्सर उनके घर आते थे और सिया देवी उन्हें प्रेम से चाय-नास्ता देती थीं. सचमुच सिया देवी त्याग, तपस्या, प्रेम एवं सेवा की प्रतिमूर्ति थीं. सिया देवी के निधन पर पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह, बीएनएमयू के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय, प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली, सिंडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान, टीएमबीयू भागलपुर के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल, दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. शंभु प्रसाद सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त किया है.
■ बांका लाइव ब्यूरो