बांका लोकसभा क्षेत्र : सुर्ख़ हुई चुनावी रंगत, 19 ने भरे पर्चे

चुनाव प्रतीक चिन्ह मिलने से पहले ही दौरा और जनसंपर्क अभियान में जुटे प्रत्याशी

बांका लाइव ब्यूरो। देशभर में लोकतंत्र का पंचवर्षीय महापर्व आरंभ हो चुका है। हर तरफ चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है। बिहार के प्रतिष्ठित बांका लोकसभा सीट को लेकर भी चुनावी रंगत अब सुर्ख हो चुकी है। इस लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में इसी माह 26 अप्रैल को मतदान होना है। नामांकन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। मतलब प्रत्याशियों द्वारा निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष नामांकन पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। लेकिन अभी नामांकन पत्रों की जांच, संभावित नाम वापसी एवं चुनाव प्रतीकों के आवंटन की प्रक्रिया अभी बाकी है। बांका लोकसभा सीट के लिए नामांकन के आखिरी दिन कल 9 प्रत्याशियों ने अपनी नामजदगी के पर्चे भरे। इस क्षेत्र के लिए यहां से अंतिम तौर पर कुल 19 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं।

नामांकन प्रक्रिया के बाद 5 अप्रैल को विभिन्न प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किए गए नामांकन पत्रों की संवीक्षा होगी। तत्पश्चात दो दिन के बाद नामांकन पत्रों की वापसी की प्रतीक्षा होगी। इसके बाद चुनावी रेस में ठहरने वाले प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए 8 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की गई है। उम्मीद की जा रही है कि नामांकन की संपूर्ण प्रक्रिया संपन्न होने एवं प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए जाने के बाद इस क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी एकाएक परवान चढ़ जाएगी।

बांका लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारी को लेकर जो दृश्य अब तक उभर कर सामने आये हैं, उसके मुताबिक इस बार भी (वर्ष 2019 में हुए) पिछले लोकसभा चुनाव में आमने-सामने के मुकाबले में रहे प्रत्याशी ही इस बार भी आमने-सामने होंगे। नक्शा इस बार भी लगभग समान है। पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव एवं जनता दल यूनाइटेड की ओर से गिरधारी यादव (वर्तमान सांसद) आमने-सामने के प्रतिद्वंद्वी थे और इस बार भी चुनाव में ये दोनों प्रत्याशी ही आमने-सामने हैं।

खास बात है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी जदयू का तालमेल भारतीय जनता पार्टी के साथ था और इस बार भी है। यह बात अलग है कि पिछली बार लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने वाले जदयू ने 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के समय राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को अंगूठा दिखा दिया था। लेकिन वर्षों राजद के साथ मिलकर बिहार में सरकार चलाने वाले जदयू ने समय के साथ फिर से पलटी मारी और अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले एक बार फिर से भाजपा के साथ तालमेल की जंजीर बांध ली है!

पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी एक निर्दलीय प्रत्याशी खम ठोंक कर बांका लोकसभा सीट के लिए चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार जहां एनडीए से टिकट से वंचित कर दी गईं पूर्व सांसद पुतुल कुमारी ने यहां से ब-तौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़कर सीधी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया था, लगभग ठीक उसी लहज़े और अंदाज में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशी जवाहर झा ने यहां के चुनावी माहौल को त्रिकोणीय बनाने की पूरी व्यूह रचना कर रखी है। यह दीगर बात है कि वे  यहां शुरू से ही ब-तौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी तैयारियों में जुटे रहे हैं। हालांकि प्रत्याशियों के प्रभाव और उन्हें मिलने वाले समर्थन का अंदाजा तो चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम दिनों में ही मिल सकेगा।

बहरहाल, बांका लोकसभा सीट से इस बार किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशियों की अंतिम संख्या और उनके नाम नामांकन की संपूर्ण प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद ही सामने आ सकेंगे। लेकिन इस बीच इस प्रतिष्ठापूर्ण लोकसभा सीट को लेकर चुनावी रंगत अब लगातार सुर्ख होती जा रही है। हर तरफ चुनावी चर्चे आम हैं। गली- मोहल्ले से लेकर नुक्कड़ों और चाय चुक्कड़ की गुमटियों तक सुबह से शाम तक बस चुनाव की ही चर्चा है। इस चर्चा में समर्थन और असंतोष परस्पर एक दूसरे को काटते हुए आगे निकलने की होड़ में हैं। लोग अभी चर्चा भी अनुमान के आधार पर ही कर रहे हैं। स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है। लोग अपने-अपने तरीके से आकलन कर रहे हैं। फिर भी बकौल उन्हीं के, देखिए… आने वाले समय में चुनावी समीकरण पर क्या रंग चढ़ता है और कौन सा रंग उतर जाता है!

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