बांका

मजदूर दिवस पर भी ठेकेदार ने श्रमिकों को नहीं बख्शा, कराते रहे काम…

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बांका लाइव डेस्क : मजदूर दिवस क्या है.. मई दिवस के क्या मायने हैं… आज यहां बांका शहर के पुराना अस्पताल परिसर में प्रस्तावित पारा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान के निर्माण में कार्यरत मजदूर तो नहीं जान रहे थे. भीषण गर्मी और आग बरसाती धूप में पसीने से लथपथ इन मजदूरों को इन बातों से कोई खास लेना-देना भी नहीं था. उन्हें तो अपनी और अपने परिवार वालों के पेट की पड़ी थी. लेकिन पास ही कुछ दूर शीतल छांव में आरामदायक कुर्सी पर बैठे ठेकेदार और उनके मुंशी का क्या… जो सब कुछ जान- बुझ और समझ कर भी अंजान बने इन मजदूरों के बदन से बह रहे गाढ़े पसीने से बनने वाली चित्रकारी का लुत्फ उठा रहे थे.

करीब दर्जनभर मजदूरों की पीड़ा को समझने या उनके अधिकारों को सम्मान देने की गरज और समझ श्रीमान ठेकेदार साहब को नहीं थी और ना ही उनके मुंशी को. लेकिन आज मजदूरों का पर्व यानी मई दिवस था साहब… कम से कम ठेकेदार या उनके मुंशी को यह तो पता होना चाहिए था! दरअसल बांका सदर अस्पताल के शहर से 3 किलोमीटर दूर जगतपुर चले जाने के बाद दर्जन भर सरकारी दफ्तरों के बावजूद वीरानी का आलम झेल रहे शहर के गांधी चौक स्थित पुराना अस्पताल परिसर में पारा मेडिकल ट्रेनिंग स्कूल का निर्माण होना है. इसका कार्य शुरू हो चुका है.

आरंभिक चरण में यहां लगे विशालकाय पेड़ काटे जा रहे हैं. JCB के माध्यम से भवन तोड़े जा रहे हैं. इन कार्यों में मजदूर लगा दिए गए हैं. अन्य दिनों में तो वे अपना पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी करते ही हैं, लेकिन मई दिवस के अवसर पर दुनिया भर के मजदूरों के लिए एक दिन विश्राम का दिन होता है लेकिन यहां के मजदूरों का यह दिन भी उनके नियोक्ता ठेकेदार ने बेरहमी से छीन लिया. उनसे दिन भर शरीर तोड़कर काम करवाते रहे. मई दिवस का अवसर उनके लिए बस एक फुस्स नारा बनकर रह गया. लेकिन इसे देखने और सुनने की फुर्सत किसे है?


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