क्या बांका जिले से उच्छेद हो गया है कोरोना वायरस, या फिर….

बांका लाइव ब्यूरो : बांका जिले में अब कोरोना के इक्के दुक्के केस ही सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक जिले में क्वॉरेंटाइन सेंटर अब बंद हो चुके हैं। बहुतेरे कोरोना संक्रमित स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। जिले में स्थिति सामान्य जैसी हो गई है। सड़कों और बाजारों में चहल-पहल वापस लौट आयी है।

मतलब यह कि क्या इस जिले से अब कोरोना का उच्छेद हो गया है, या फिर कुछ और बात है! राज्य के कई जिलों से अब भी कोरोना के केस बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व तक बांका जिले में भी कोरोना के पॉजिटिव मामले बड़ी तेजी से सामने आए। लेकिन एकाएक 15 जून के बाद इसमें उतनी ही तेजी से गिरावट आई है। पिछले 3 दिनों में बांका जिले में सिर्फ चार पॉजिटिव केस सामने आए हैं।

इनमें से दो मामले एक दिन में सामने आए। जबकि दो अन्य मामले 2 दिनों में एक एक कर सामने आए। नवीनतम मामला बुधवार को फुल्लीडुमर से सामने आया जहां का एक 25 वर्षीय पुरुष कोरोना पॉजिटिव पाया गया। मंगलवार को बौंसी से भी एक पॉजिटिव केस सामने आया था। जबकि इससे पहले सोमवार को कटोरिया एवं रजौन से एक एक कोरोना पॉजिटिव केस सामने आया। जिले में अब तक कुल 185 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं।

खास बात है कि अब सामने आने वाले कोरोना के पॉजिटिव मामलों में अनेक मामले होम क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों के होते हैं। गत सप्ताह ऐसे अनेक पॉजिटिव मामले सामने आए जिनकी सैंपल जांच हाई रिस्क कांटेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर कराई गई थी। जिले में अब क्वॉरेंटाइन सेंटर बंद कर दिए गए हैं। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने का सिलसिला भी अब थम चुका है। हालांकि सार्वजनिक यातायात की गति तेज हो चुकी है।

आरंभिक तौर पर बांका जिले में अब तक जितने भी कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, उनमें करीब 90 फ़ीसदी से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों के हैं। हालांकि बाद में कांटेक्ट ट्रेसिंग के भी अनेक मामले सामने आए। बांका जिले में ऑफीशियली करीब 50 हजार के आसपास प्रवासी श्रमिकों के आने की बात कही गयी, लेकिन व्यवहारिक तौर पर बड़ी संख्या में ऐसे प्रवासी भी इस जिले में आए जिनका ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे प्रवासी अपने निजी बंदोबस्त से देश के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचे।

अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या वाकई इस जिले में कोरोना का प्रकोप थम गया है या फिर स्वास्थ्य विभाग का तंत्र ही इस ओर से उदासीन हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का दावा है कि करीब ढाई सौ से ज्यादा सैंपल जांच के लिए पेंडिंग है। उनकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। कई दिनों से यहां स्वास्थ्य विभाग में यही चर्चा चल रही है। अगर ऐसा है तो जांच क्यों नहीं हो रही? और जब जांच ही नहीं हो रही तो नए मामलों को लेकर वस्तुस्थिति स्पष्ट किस प्रकार हो पाएगी! और यह वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं हुई तो संशय कैसे दूर हो पायेगा!

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