बांका LIVE डेस्क : भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित वर्ष 2017 के स्वच्छता सर्वेक्षण में देवघर को देश के 100 स्वच्छ शहरों में स्थान नहीं मिल पाया. राजधानी रांची को छोड़ धर्मनगरी देवघर झारखंड के बाकी शहरों की तुलना में फिसड्डी साबित हुआ है. इसके बाबजूद शहर की साफ-सफाई को लेकर निगम आज भी गंभीर नहीं है. शहर में फैली गन्दगी इसका प्रमाण है.
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा देश के कुछ चुने हुए शहरों में स्वच्छता का आकलन करने के उद्देश्य से स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया. इसके लिए देश के जिन चुने हुए 434 शहरों का चयन कर वहां स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया उसमे देवघर भी शामिल था. पिछले वर्ष सितम्बर से इस वर्ष जनवरी तक यह सर्वेक्षण देवघर में किया गया. लेकिन छोटा शहर और धर्मनगरी होने के बाबजूद यह देश के चुनिंदा सौ शहरों की फेहरिस्त में अपनी जगह बनाने में पिछड़ गया. इस विफलता के बाद ख़ास कर शहर की साफ़-सफाई को लेकर निगम के रवैये में बदलाव की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वास्तविकता ठीक इसके विपरीत है. धर्मनगरी की सफाई को लेकर निगम की उदासीनता पर अब स्थानीय लोगों द्वारा सवाल उठाये जा रहे हैं.
इस सर्वेक्षण में 2000 निर्धारित अंक में मात्र 1232 अंक हासिल कर देवघर 102वें स्थान पर रहा. शहर की साफ-सफाई के प्रति निगम का लापरवाह रवैया रैंक में पिछड़ने की मुख्य वजह रही. लेकिन नगर निगम अधिकारी के पास इसके लिए रेडीमेड बहानों की कमी नहीं है. उनकी मानें तो लक्ष्य टॉप टेन में जगह बनाने का तय किया गया था. हालांकि 102 रैंक को भी अब देवघर नगर निगम के आयुक्त संजय कुमार सिंह द्वारा गौरव की बात बतायी जा रही है.
पिछड़ने के बहाने चाहे जितने गिनाये जाएं, लगभग डेढ़ लाख की आबादी वाले इस छोटे शहर को सफाई के मानकों के अनुरुप अव्वल साबित नहीं कर पाने में नगर निगम की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अफ़सोस इस बात का है कि आज भी शहर की स्वच्छता को लेकर निगम की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है. ऐसे में आने वाले 2018 स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए नगर निगम को अभी से मिशन मोड पर काम करने की सख्त जरुरत है.