बिहार कैबिनेट : जयंत राज व सुमित सिंह को मिली इन महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी

मनोज उपाध्याय/ बांका जिले की राजनीति से जुड़े जिन दो शख्सियतों को बिहार मंत्रिमंडल के मंगलवार को हुए विस्तार में जगह दी गई, उनमें बांका जिले के अमरपुर तथा जमुई जिले के चकाई से चुने गए जदयू विधायक क्रमशः जयंत राज कुशवाहा एवं सुमित सिंह शामिल हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के साथ ही उनकी जिम्मेदारियां भी तय कर दी गई हैं। उन्हें मिले विभागों की भी घोषणा शपथ ग्रहण के तत्काल बाद कर दी गई है।

बांका जिले से जुड़े इन दोनों ही विधायकों को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभागों से नवाजा गया है। बांका जिला अंतर्गत अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक जयंत राज कुशवाहा को महत्वपूर्ण ग्रामीण कार्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले बांका अंचल के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों की विकास के मामले में पिछड़ रही स्थिति पर अब शायद ब्रेक लग सके। जिले में ग्रामीण विकास की रफ्तार मंत्री जयंत राज कुशवाहा के नेतृत्व में बढ़ सकती है, उनके विभागीय मंत्री बनाए जाने से इस बात की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।

उधर जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र से चुने गए जदयू विधायक सुमित सिंह को मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी जमुई और इससे सटे बांका जिले की स्थिति अत्यंत पिछात मानी जाती है। इस विभाग के मंत्री का चयन इसी क्षेत्र से किए जाने से इस बात को बल तो मिलता ही है कि क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े विकास को बढ़ावा मिलेगा।

बिहार मंत्रिमंडल में शामिल इन दोनों नए मंत्रियों की पृष्ठभूमि राजनीतिक परिवार से जुड़ी है। सुमित सिंह छात्र आंदोलन के प्रखर नेता, कद्दावर समाजवादी नेता एवं बिहार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के सुपुत्र हैं। स्वयं उनका और उनके पिता का भी बांका जिले की राजनीतिक फ़िज़ा में अनेक स्तरों पर प्रभावकारी दखल रहा है और वे इस क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहे हैं। 

जबकि, जयंत राज कुशवाहा बेलहर एवं अमरपुर से तीन बार विधायक रहे जदयू नेता जनार्दन मांझी के सुपुत्र हैं। जयंत राज कुशवाहा से पहले जनार्दन मांझी ही अमरपुर क्षेत्र से विधायक थे। इस क्षेत्र से जदयू के टिकट पर जनार्दन मांझी लगातार दो बार विधायक बने। विगत चुनाव में उनके उम्र को देखते हुए उनकी जगह उनके पुत्र अत्यंत युवा जयंत राज कुशवाहा को जदयू का टिकट दिया गया और पार्टी नेतृत्व के इस निर्णय को अपनी जीत के साथ श्री कुशवाहा ने सिद्ध भी कर दिखाया।

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