बेलहर उपचुनाव : सवालों में घिरे डिप्टी सीएम तो निकलने में ही समझी भलाई..

बांका लाइव ब्यूरो : डिप्टी सीएम तो दूर की बात, ऐसे मौके आम जनता को कम ही हाथ लगते हैं कि वे अपनी समस्याओं को लेकर सांसद और विधायक जैसे अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल कर सकें। लेकिन जब मौका डिप्टी सीएम से सवाल करने का हाथ लग जाए तो जनता भी कहां चूकने वाली!

ऐसी ही कुछ स्थितियां आज बांका जिला अंतर्गत बेलहर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रचार अभियान के दौरान क्षेत्र के साहिबगंज बाजार में बन गई जब स्थानीय जनता- व्यापारी और राज्य के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी आमने-सामने थे। खास बात कि क्षेत्र के पूर्व विधायक और बांका के वर्तमान सांसद गिरधारी यादव भी मौके पर उनके सामने थे। सो सवाल पूछने के लिए स्थानीय जनता एवं व्यापारियों ने भी मौका नहीं गंवाया। दाग दिए उन्होंने भी ताबड़तोड़ सवाल जिनका जवाब फिलहाल डिप्टी सीएम और सांसद के पास नहीं था।

क्षेत्र से एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार के सिलसिले में डिप्टी सीएम व भाजपा नेता सुशील मोदी जदयू सांसद व एनडीए प्रत्याशी लालधारी यादव के बड़े भाई गिरधारी यादव के साथ साहिबगंज बाजार पहुंचे तो स्थानीय जनता एवं व्यापारियों ने अपनी समस्याओं को लेकर उनसे सवालों की झड़ी लगा दी।

स्थानीय जनता एवं व्यापारियों ने रोषपूर्ण शब्दों में उनसे शिकायत दर्ज कराई और सवाल उठाए कि इससे पहले बेलहर क्षेत्र के विधायक एनडीए के ही गिरधारी यादव थे, तब साहिबगंज बाजार की यह दुर्गति क्यों? ‘दुर्गति’ से उनका तात्पर्य बाजार की सड़कों पर बनी तालाब की स्थिति, भीषण जलजमाव, बदबू और सड़ांध के साथ साथ सड़क की बदहाल स्थिति, जिनसे होकर रोज सैकड़ों वाहन गुजरते हुए अगल बगल की दुकानों और घरों पर गंदे पानी एवं कीचड़ की बौछार करते निकल जाते हैं।

पहले तो दोनों नेताओं ने स्थानीय लोगों को बातों में घुमाने का प्रयास किया, लेकिन जब सवालों की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी बढ़ती चली गई.. लोग अपनी अपनी समस्याओं को लेकर सवालों के साथ वहां जुटते चले गए, तो डिप्टी सीएम सुशील मोदी एवं सांसद गिरधारी यादव सहित उनके समर्थकों ने जल्दी-जल्दी वहां से निकलने में ही सुकून तलाशने की कोशिश की।

लेकिन ऐसा नहीं कि उनके वहां से निकलने के बाद इन सवालों का अंत या निदान हो गया, बल्कि स्थानीय जनता एवं व्यापारी फिर भी आक्रोश में दिखे। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके दुख दर्द को समझने एवं उनका निराकरण करने वाला जनप्रतिनिधि चाहिए। सिर्फ वोट मांगने के लिए आने वाला नेता नहीं। ऐसे नेता उनके सामने आएंगे, तो उनसे सवाल होंगे। रही वोट लेने- देने की बात, तो वह किसी के कहने पर नहीं, बल्कि खुद की मर्जी से और स्थानीय हितों के भविष्य को देखते हुए तय किया जाएगा।

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