मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को शर्मसार कर रहे दो नवजातों के शव

बांका लाइव संवाददाता : वात्सल्य भाव प्रेम की पराकाष्ठा होती है और संवेदनाएं प्रेम का चरमोत्कर्ष। यह एक सिद्धांत नहीं बल्कि व्यवहार है। जहां संवेदनाएं नहीं होतीं वहां प्रेम नहीं हो सकते, और जहां प्रेम नहीं है वहां वात्सल्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वात्सल्य का भाव एक ऐसी अवस्था है जिसकी प्राप्ति के लिए देवी-देवताओं में भी होड़ लगी रही है। हमारी पुराण कथाओं में ऐसा वर्णित है।

अमरपुर बस स्टैंड स्थित पुल जिसके नीचे फेंके पड़े थे दो नवजातों के शव


लेकिन बांका जिले में आज एक ऐसी घटना सामने आई जिसमें वात्सल्य का गला घोंट देने की कथानक लिखी है। इस क्रूर, जघन्य और घृणित कथानक ने यहां के लोगों की संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है। जिस किसी के संज्ञान में यह कथानक आ रही है, वही इसकी घृणा भरे शब्दों में निंदा कर रहा है।

घटना बांका जिला अंतर्गत अमरपुर प्रखंड मुख्यालय बाजार के बस स्टैंड की है। अमूमन भीड़भाड़ वाले हिस्से में घनी आबादी के बीच अमरपुर बस स्टैंड स्थित पुल के नीचे आज सुबह दो नवजात शिशुओं के शव देखे जाने के बाद पूरे कस्बे में सनसनी फैल गयी। लोग इस घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं।

बताया गया कि आज सुबह कुछ कुत्ते इन दोनों नवजातों के शवों पर टूट पड़े थे। कुछ लोगों की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने पड़ताल की कोशिश की। उनकी नजर पुल के नीचे पड़े दो नवजात शिशुओं के शवों पर पड़ी। उन्होंने कुर्तों को भगाया। तब तक कानों कान आसपास के मोहल्लों तक यह खबर फैल गई।

बड़ी संख्या में लोग मौके पर जुट गए। जिस किसी ने इन स्थितियों से साक्षात्कार किया, उसके रोंगटे खड़े हो गए। आह.. के साथ निकले उनके निंदात्मक शब्दों ने इस घटना की तीव्र भर्त्सना की। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कोई इसे गर्भपात का मामला बता रहा था तो कोई अवैध संबंधों का फलसफा…!

लेकिन इन सबके बीच जो बड़ी चर्चा हो रही थी, वह यह कि जहां लोग एक संतान के लिए काशी करवट तपस्या करते हैं, वहां दो 2 नवजातों की बलि चढ़ा कर उनकी संवेदनहीन माताओं को क्या सुख मिला होगा! उनकी क्या मजबूरी रही होगी? हर किसी के स्वर में इस घटनाक्रम को लेकर निंदा और हर चेहरे पर घृणा के भाव उमड़ रहे थे।

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