श्रावणी मेला 2022 : शिव भक्तों से गुलजार हुआ कांवरिया पथ, गूंज रहा ‘बोल- बम’ का नारा

कांवरिया पथ से (बांका लाइव ब्यूरो) : विश्वव्यापी कोरोना संकट की वजह से 2 वर्षों के बाद लग रहे श्रावणी मेले को लेकर इस बार क्षेत्र में गजब का उत्साह है। बिहार के भागलपुर जिला अंतर्गत सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा तट से लेकर झारखंड के देवघर स्थित वैद्यनाथ धाम तक करीब 108 किलोमीटर में लगने वाले माह पर्यंत श्रावणी मेले को लेकर इस बार प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक तैयारियां की गई हैं।

श्रावणी मेला 2022 आज यानी 14 जुलाई गुरुवार से आरंभ हो रहा है। गंगा धाम से लगायत बाबा धाम के बीच सावन भर लगने वाले शिव भक्तों के इस विशेष महाकुंभ में इस बार तकरीबन 50 लाख श्रद्धालुओं के आगमन का आकलन है। हालांकि इनमें वे श्रद्धालु भी शामिल हैं जो भागलपुर के विभिन्न गंगा घाटों से जल लेकर जगदीशपुर -हंसडीहा होते हुए बाबा बासुकीनाथ तक की कांवर यात्रा करते हैं। इनकी भी बड़ी तादाद होती है। खासकर डाक बम के रूप में बाबा को जल अर्पित करने वाले श्रद्धालुओं की विपुल संख्या होती है।

श्रावणी मेला 2022 का उद्घाटन कई स्तरों पर किया जाता है, जैसा कि इस मेले की परंपरा में आमतौर पर होता रहा है। मेले का उद्घाटन सुल्तानगंज से लेकर बाबा धाम तक कई स्तरों पर होता है। बांका जिले में प्रशासनिक स्तर पर इस मेले का औपचारिक उद्घाटन जिले में कांवरियों के प्रवेश द्वार कुमरसार नदी के आगे धौरी के पास होता है। गुरुवार को दोपहर जिलाधिकारी अंशुल कुमार एवं एसपी डॉ सत्य प्रकाश के साथ-सथ कई प्रमुख जनप्रतिनिधियों द्वारा इस आयोजन का औपचारिक उद्घाटन किए जाने का कार्यक्रम रखा गया है।

इधर प्रशासनिक तैयारियों अथवा उद्घाटन की औपचारिकताओं से परे कांवरिया मार्ग पर श्रद्धालुओं के बाबा धाम की ओर बढ़ने का सिलसिला तेज हो गया है। हालांकि यह सिलसिला 2 दिन पूर्व से ही आरंभ हो चुका है। 2 दिनों पूर्व से कांवरिया पथ पर चल रहे कांवरियों में वे श्रद्धालु शामिल हैं जो गुरु पूर्णिमा एवं श्रावण प्रवेश के साथ बाबा को जल अर्पित करने की कामना के साथ सुल्तानगंज गंगा धाम से चले थे।

कांवरियों का जत्था रुनझुन सजे धजे कामनाओं के साथ बाबा धाम की ओर ‘बोल बम’ के जयकारे के साथ बढ़ने लगा है। कांवरिया पथ शिव भक्तों की आवाजाही से गुलजार हो रहा है। केसरिया रंग के परिधानों में चल रहे कांवरियों की वजह से कांवरिया पथ पर बोल बम के नारे के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं समर्पण का आध्यात्मिक रंग सुर्ख़ होने लगा है।

कांवर गीत गाते बढ़ते चले जाते कांवरियों संग स्थानीय लोगों के साथ साथ दूरदराज से आए सेवा शिविरों के संचालक एवं कार्यकर्ता भी जुड़े हुए हैं। सेवा शिविरों में जहां कांवरियों की सुविधा के लिए अलग-अलग तरह के इंतजाम किए गए हैं, वही प्रशासनिक स्तर पर पेयजल, शौचालय, बिजली, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सहित सरकारी धर्मशाला में विश्राम की व्यवस्था की गई है। कांवरिया पथ पर चाक-चौबंद सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। प्रशासनिक कमान से कांवरिया पथ पर प्रतिनियुक्त अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वास्थ्य कर्मियों एवं सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभाल लिया है।

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