बांका

BANKA : नारकीय स्थिति झेलने को अभिशप्त है शहर का शिवाजी चौक, कोई देखने वाला नहीं!

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बांका लाइव ब्यूरो : बांका शहर की आन- बान और शान, शहर का सबसे बड़ा और प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र, ऐतिहासिक स्थल और सबसे बड़ी बात बांका शहर की पहचान है शिवाजी चौक। लेकिन इस ऐतिहासिक चौक और इसके आसपास क्रॉस करने वाली सड़कें किस जिल्लत और नारकीय स्थिति में हैं और कैसे इन पर से होकर इधर आने वाले लोग गुजरते हैं, यह कोई यहां आकर देखें।

बांका शहर की पारंपरिक पहचान यह शिवाजी चौक ही है। इस चौक से होकर भागलपुर रोड, कचहरी रोड, अलीगंज रोड और करहरिया रोड पर से होकर लोग चलते हैं। भागलपुर रोड और करहरिया रोड की स्थिति तो फिर भी कुछ बेहतर है, लेकिन ऐन शिवाजी चौक और इस पर से आगे बढ़ते हुए कचहरी रोड और खासकर अलीगंज रोड की हालत बयां करने लायक नहीं है।

सर्वाधिक खस्ताहाल अलीगंज रोड का है। खास बात तो यह है कि इस चौक की ज्यादातर गतिविधियां इसी रोड में और इसके इर्द-गिर्द संपन्न होती हैं। शिवाजी चौक से अलीगंज रोड के पहले 200 मीटर की स्थिति खस्ताहाल नहीं, बल्कि शर्मनाक है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बने हैं, जहां हमेशा जलजमाव बना रहता है। मामूली बूंदाबांदी में भी ये गड्ढे तालाब बन जाते हैं।

इसी चौक के आसपास शकुंतला मार्केट, डोकानिया मार्केट, सब्जी मंडी, काली स्थान मार्केट और भी अनेक मार्केट परिसर एवं मंडियां हैं जहां रोज हजारों हजार की तादाद में आकर लोग अपनी जरूरत के हिसाब से सामानों की खरीदारी करते हैं। लेकिन स्थिति यह है कि बूंदाबांदी हुई नहीं कि लोग शिवाजी चौक जाने की बात सुनकर ही सिहर जाते हैं।

कई बार स्थानीय व्यवसायियों एवं आम लोगों ने इस चौक और आसपास की नारकीय स्थिति की जानकारी संबंधित विभाग और अधिकारियों को देते हुए समस्या के निदान की मांग की। लेकिन किसी ने सुनी होती तो आज स्थिति भिन्न होती। बिना उपयोग वाले एक नाले के निर्माण को लेकर शहर पर मलबे का ढेर जमा किया गया था, जिसे उठाकर हटाने की कवायद में सड़क पर गड्ढे बना दिए गए।

वैसे भी बांका में सड़कों का कोई माई बाप नहीं है। आम लोग सड़कों का इस्तेमाल चलने के लिए करते हैं तो व्यवसाई दुकाने लगाने के लिए। कमाने खाने वालों को सड़कों पर नाला निर्माण और पेभर ब्लॉक लगाने की चिंता बनी रहती है। सड़कें बनती हैं और टूट जाती हैं। आखिर क्या वजह है कि लगातार बनाई जाती रही अलीगंज सड़क लगातार बनने के साथ ही टूटती भी रही है। अव्वल तो सवाल वजह जानने का नहीं, बल्कि शिवाजी चौक और इसके आसपास बाजार परिसर की नारकीय स्थिति से त्राण दिलाने का है। लेकिन इसके लिए फुर्सत, चिंता और इच्छाशक्ति किन्हें है!


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