बांका

BANKA : कोरोना संकट के दौर में जनसेवा की नजीर पेश कर रहा बांका विकास मंच

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बांका लाइव ब्यूरो : कोरोना संकट को लेकर लॉक डाउन शुरू होते ही सार्वजनिक स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग की हिदायत के साथ मास्क वितरण से शुरू बांका विकास मंच की सेवा का विस्तार जरूरतमंद परिवारों के लिए खाने-पीने और दवा की व्यवस्था करने तक पहुंच चुका है। मंच के दर्जनों स्वयंसेवक सुबह से लेकर देर शाम तक अपनी इस सेवा को अहर्निश जारी रखने के लिए पूरी तत्परता से लगे हुए हैं।

बांका विकास मंच बातों ही बातों में कुछ वर्ष पूर्व बना बांका शहर के उत्साही एवं दिलेर नव युवकों का संगठन है, जिसने आज अपने नाम और उद्देश्यों की सचमुच बड़ी सार्थकता सिद्ध की है। मंच का विस्तार अब बांका शहर से शुरू होकर जिले भर में फैल चुका है। आज स्थिति यह है कि इस संगठन की सेवाओं से प्रभावित हो बड़ी संख्या में युवा और कहीं-कहीं बुजुर्ग अनुभवी भी इस मंच से जुड़ रहे हैं।

कोरोना संकट की वजह से जारी लॉक डाउन आदेश के पहले दो-तीन दिन तक यहां इसका असर सिर्फ बातचीत में ही दिख रहा था। लेकिन इसी दौर में स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मंच के स्वयंसेवकों ने स्थानीय स्तर पर हजारों की संख्या में मास्क बनवा कर सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के बीच बांटा। बल्कि लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अपरिहार्य रूप से करने की भी प्रेरणा दी।

संपूर्ण लॉक टाउन के बाद तो मंच ने बड़ी जिम्मेदारी संभाल ली। सड़कों और बाजार क्षेत्र में सोशल डिस्टेंसिंग का अधिकाधिक पालन हो इसके लिए प्रशासन से अनुमति लेकर लोगों को उन्हीं के लिए दुकानों से सामान खरीद कर घर घर पहुंचाने का बीड़ा मंच के स्वयंसेवकों ने उठाया। लेकिन जब इसी दौर में मंच को महसूस हुआ कि बांका तथा आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिनके घरों में चूल्हे जलने बंद हो चुके हैं तो मंच ने उन परिवारों की रसोई चलाने का भी बीड़ा उठाया।

मंच के इस निर्णय का व्यापक स्वागत हुआ। आरंभ में मंच के स्वयंसेवकों ने खुद अपने बीच से राशि जमा कर खाद्यान्न लोगों तक पहुंचाने शुरू किए। लेकिन बाद में एक के बाद एक बड़ी संख्या में लोगों ने भी बढ़-चढ़कर उनके इस अभियान में सहयोग शुरू कर दिया। इससे मंच का मनोबल बढ़ा और इस अभियान का विस्तार बांका शहर से बाहर जिले भर में करने की कोशिश की गई। इस कोशिश में मंच के स्वयंसेवकों को बड़ी सफलता भी मिली है।

बांका विकास मंच के स्वयंसेवक सुबह होते ही इकट्ठे हुई सामग्री जिनमें चावल, आटा, चुडा, दाल, आलू आदि होते हैं, की अपने कार्यालय में पैकिंग करते हैं। पैकिंग पूरी होने के बाद स्वयंसेवकों की अलग-अलग टोलियां उन्हें बोरे में लेकर जरूरतमंदों की तलाश करते हुए उन्हें पहुंचाने निकल पड़ते हैं।

उनका यह अभियान देर शाम तक जारी रहता है। मंच के स्वयंसेवक जरूरतमंदों को दवाइयां भी उनके घरों तक पहुंचाते हैं। कोरोना संकट के इस दौर में मंच के इस दायित्व निर्वहन श्रृंखला ने इसी जिले के उन अन्य कथित स्वयंसेवी संगठनों को भी आईना दिखा दिया है जो कुछ माह पूर्व तक बड़ी-बड़ी आईडियोलॉजी के साथ बड़े-बड़े दावे करते अघा नहीं रहे थे।


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