BANKA : लीड बैंक यानी यूको बैंक के एडमिनिस्ट्रेटिव सेल की मेहनत और प्रयासों ने बांका जिले में बैंकों के ऋण अनुपात को लेकर सफलता का एक नया अध्याय जोड़ा है। लीड बैंक की ओर से बांका जिला मुख्यालय के नगर भवन में आयोजित दो दिवसीय कस्टमर आउटरीच प्रोग्राम के पहले ही दिन जिले में कार्यरत 22 बैंकों के सहयोग से 6 हजार ग्राहकों के बीच 38 करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए गए।
इस आयोजन का औपचारिक उद्घाटन जिलाधिकारी कुंदन कुमार, एसपी अरविंद कुमार गुप्ता, यूको बैंक के उप महाप्रबंधक महेश्वर तराई, अंचल प्रबंधक सुभाष चंद्र महापात्रा एवं निरुपम कुमार राय आदि ने संयुक्त रूप से किया। समारोह की अध्यक्षता यूको बैंक के उप महाप्रबंधक महेश्वर तराई ने की।
इस मौके पर जुटे हजारों बैंक ग्राहकों को संबोधित करते हुए अग्रणी जिला प्रबंधक मोना कुमारी ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ ऋण वितरण के लिए नहीं, बल्कि जैसा कि आयोजन के नाम से स्पष्ट है, यह कार्यक्रम कस्टमर आउटरीच यानी बैंकिंग और बैंक सेवाओं को लेकर ग्राहक जागरूकता के मौलिक मकसद के साथ आयोजित किया गया है।
बैंकिंग और बैंक सेवाओं के प्रति ग्राहकों की व्यापक जागरूकता पर बल देते हुए अग्रणी जिला प्रबंधक मोना कुमारी ने कहा कि समाज और देश के साथ-साथ ग्राहकों की आर्थिक तरक्की के लिए बैंक नित नए प्रयोग और प्रयास कर रहे हैं। ग्राहकों को इनकी व्यापक जानकारी हो और वे बैंकों द्वारा दी जा रही सेवाओं तथा सुविधाओं का अधिकतम लाभ (वह भी सुरक्षित तरीके से) ले सकें, ग्राहक जागरूकता का असली तात्पर्य यही है।
एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के वक्तव्य में साइबर आर्थिक अपराध की चर्चा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए ही ग्राहक जागरूकता जरूरी है। इससे पहले जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राहक बैंक सेवा और मिल रही ऋण सुविधाओं की अहमियत समझें। सीमांत पर जीवन बसर कर रहे लोगों की हैसियत ऊंचा करने के लिए बैंक उन्हें आवश्यक ऋण और अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं, एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने साइबर क्राइम पर ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस मौके पर यूको बैंक के उप महाप्रबंधक महेश्वर तराई, अंचल प्रबंधक सुभाष चंद्र महापात्रा, उप अंचल प्रमुख निरुपम कुमार राय, आरसेटी निदेशक अभय कुमार सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा बैंक ग्राहकों से आह्वान किया कि वे प्राप्त ऋण का सदुपयोग कर ना सिर्फ अपनी आर्थिक हैसियत सुधारें, बल्कि बैंकों के साथ सहयोग करते हुए समय पर ऋण वापसी एवं पुनः ऋण प्राप्ति का अवसर सृजित करें। क्योंकि तभी ऐसे आयोजनों की सार्थकता सिद्ध हो सकती है।