BANKA : आखिरकार अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त हो गया काली पोखर

बांका लाइव ब्यूरो : बांका शहर का ऐतिहासिक काली पोखर आखिरकार अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त हो गया। पिछले दिनों शहर में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए गए दो दिवसीय अभियान के दौरान जिला प्रशासन को यह सफलता मिली। आमतौर पर जहां प्रशासन के इस अभियान से अतिक्रमणकारियों को अपना दायरा समेटने पर मजबूर होना पड़ा, वहीं शहर के आम आवाम ने प्रशासन के इस अभियान का खुल कर स्वागत किया।

जिला प्रशासन की ओर से बांका शहर की तमाम सड़कों, राजमार्ग एवं लोक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर देने की अतिक्रमणकारियों को लगातार चेतावनी दी जा रही है। तकरीबन एक माह की चेतावनी के बाद विगत सप्ताह इस दिशा में प्रशासनिक स्तर पर जोरदार दो दिवसीय अभियान चलाया गया। इस अभियान के पहले दिन जहां गांधी चौक से लेकर कटोरिया रोड की अतिक्रमण सफाई की गई, वहीं दूसरे दिन अभियान का बिंदु मुख्य रूप से शिवाजी चौक के समीप ऐतिहासिक काली पोखर रहा।

ज्ञात हो कि शहर का ऐतिहासिक काली पोखर अतिक्रमणकारियों की मुसलसल दबिश की वजह से अहमदनगर बन चुका था। यहां बाजार लग गए थे। दर्जनों कच्ची पक्की दुकानें निर्मित हो गई थी। पोखर का वजूद पूरी तरह मिट चुका था। प्रशासन के मुताबिक यह पोखर नगर परिषद के अधिकार क्षेत्र में है और नगर परिषद की इस भूखंड पर कई योजनाएं प्रस्तावित हैं। लेकिन इन योजनाओं को इस पर किए गए अतिक्रमण की वजह से क्रियान्वित नहीं किया जा पा रहा था।

इस पोखर का नाम काली पोखर रखे जाने के पीछे भी एक परंपरा रही है। बांका शहर के ऐतिहासिक काली स्थान में दीपावली के अवसर पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले की समाप्ति के बाद मंदिर में प्रतिस्थापित मां काली की प्रतिमा का विसर्जन 90 के दशक तक इसी काली पोखर में होता रहा। इस पोखर में कमल खिलते थे। हालांकि इसी दौरान इस पोखर को भरने की साजिश शुरू शुरु हो चुकी थी। इस साजिश में तब तत्कालीन नगर पालिका का भी कम योगदान नहीं रहा। नगर पालिका की ओर से इस पोखर को तब शहर के कचरे का डंप जोन बना दिया गया था।

दूसरी ओर से स्थानीय अतिक्रमणकारियों ने भी इस पोखर को भरने का सिलसिला शुरू किया और पोखर आखिरकार समतल भूखंड में तब्दील हो गया। इसकी पोखर वाली पहचान पूरी तरह विलुप्त हो गई। बस जानने वाले जानते रहे कि यह काली पोखर है। इस पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया। खबरों के अनुसार इस बीच नगर परिषद की ओर से लिटिगेशन का सिलसिला जारी रहा। मामला कोर्ट में सबजूडिस हो गया। लेकिन इधर प्रशासनिक स्तर पर जारी नोटिस के बाद इस काली पोखर से अतिक्रमण पूरी तरह हटा दिया गया।

हालांकि इससे एक माह पूर्व भी इस दिशा में प्रयास किए गए थे। लेकिन तब स्थानीय अतिक्रमणकारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क जाम कर दिया था। उन्होंने पथराव भी किए थे। प्रशासन ने अपना अभियान रोक दिया था। हंगामा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी की गई थी। बाद में प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ इस पोखर को अतिक्रमण मुक्त कराने की प्रक्रिया पूरी मुस्तैदी के साथ पूरी कर ली। प्रशासन के इस अभियान का शहर के लोगों ने स्वागत किया है।

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