बांका जिले में तो जैसे कानून का राज ही समाप्त हो गया लगता है! लोग भीड़ की शक्ल लेते ही अराजक हो जा रहे हैं। अराजकतावादियों का मनोबल कुछ इस कदर बढ़ गया है कि वे पुलिस प्रशासन और डॉक्टर तक को नहीं बख्श रहे। शनिवार को बांका में अतिक्रमण हटाने पहुंचे मजिस्ट्रेट और पुलिस दस्ते पर हमले की खबर अभी गर्म ही थी कि रविवार को जिले के अमरपुर रेफरल अस्पताल में बड़ा हंगामा हो गया।
बांका लाइव / अमरपुर : अमरपुर रेफरल अस्पताल में तकरीबन डेढ़ सौ लोगों की भीड़ ने एकदम से अराजकता के मोड में आकर जमकर बवाल काटा। उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ की और वहां पदस्थापित एवं ड्यूटी पर तैनात एक आयुष चिकित्सक डॉक्टर ज्योति कुमार भारती पर हमला कर दिया। डॉक्टर ने बचने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस हमले में डॉक्टर ज्योति कुमार भारती गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस मामले की रिपोर्ट थाना में की गई है लेकिन देर रात तक प्राथमिकी दर्ज होने की पुष्टि नहीं हो पाई है। घटना रविवार की शाम करीब 4:00 बजे के आसपास की है, जब एक बाइक दुर्घटना में घायल तीन लड़कों को इलाज के लिए अस्पताल में लाया गया था। घायल तीनों लड़के अमरपुर थाना क्षेत्र के ही महागामा गांव के थे। उनके जख्मी होने की खबर सुन गांव के तकरीबन 100 से ज्यादा लोग उन्हें देखने अस्पताल पहुंच गए। इस दौरान अस्पताल में ड्यूटी पर आयुष चिकित्सक डॉ ज्योति कुमार भारती मौजूद थे। उन्होंने घायलों को देखा जिन की हालत गंभीर थी। घायलों के प्रारंभिक उपचार के बाद डॉ भारती उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें रेफर करने के लिए रिफरेंस बनाने लगे।
इस बात पर घायलों के साथ और बाद में उनके गांव से आए लोग डॉ भारती पर भड़क गए। उन्होंने डॉक्टर पर पहले मरीजों का इलाज करने के लिए दबाव बनाया, लेकिन जब डॉक्टर ने कहा कि वे मरीजों को रेफर कर रहे हैं, क्योंकि उनकी स्थिति गंभीर है, तो गांव से आए कुछ लोगों ने उनकी गर्दन पकड़ ली और घसीटते हुए अस्पताल के बाहर एंबुलेंस तक ले गए। वहां उन्होंने डॉक्टर के साथ बेरहमी से मारपीट की। उनके कपड़े फाड़ दिए। डॉक्टर किसी तरह उनके चंगुल से निकलकर भागने लगे। लेकिन उग्र भीड़ ने उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इधर अस्पताल में कुछ लोगों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की भी खबर है।
इस बीच बताया गया कि अस्पताल में हो रहे हंगामे और डॉक्टर की पिटाई की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई और बार-बार इस सूचना का रिमाइंडर भी कॉल करके थाना में दिया गया। लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंचने में काफी देर लगा दी जबकि घटनास्थल अमरपुर थाना से कुछ ही दूरी पर अवस्थित है। करीब आधे घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची। तब तक भीड़ के आक्रमण से बचते हुए डॉक्टर किसी तरह छिपकर एक घर में घुस गए जिससे उनकी जान बची। पुलिस जब मौके पर पहुंचे तो डॉक्टर वहां नदारद थे। डॉक्टर डरे हुए थे और बाहर निकलना नहीं चाह रहे थे। हालांकि वह काफी घायल हो चुके थे। काफी खोजबीन के बाद डॉक्टर को बाहर निकाला गया और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बताया तो यहां तक गया कि पुलिस के पहुंचने के बाद भी आक्रामक भीड़ हिली नहीं और हो- हंगामा करती रही। मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष सफदर अली उन्हें समझाते रहे लेकिन भीड़ का रवैया नहीं बदला। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कोई प्राथमिकी ना हो, इसके लिए भी पुलिस की ओर से भूमिका बनाई जाती रही। हालांकि बाद में प्रखंड विकास पदाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद डॉक्टर ने इसकी रिपोर्ट थाना में की। देर शाम तक थाना में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज होने की खबर नहीं है।
ज्ञात हो कि अमरपुर रेफरल अस्पताल में कोई नियमित पुरुष एलोपैथ चिकित्सक नहीं हैं। एक पुरुष एलोपैथ चिकित्सक हैं भी, तो वे सिर्फ इसलिए वहां काम कर रहे क्योंकि उनके नियमित पदस्थापन स्थल कौशलपुर अस्पताल में कामकाज बंद है। अमरपुर रेफरल अस्पताल में भले ही तीन एलोपैथ महिला चिकित्सक हैं, लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी के मामले में उनकी भूमिका लगभग नगण्य ही है। ऐसे मामलों में पुरूष एलोपैथ चिकित्सकों की खोज होती है जो अस्पताल में है ही नहीं। यह अस्पताल पुरुष आयुष डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है जहां गंभीर प्रकृति के अथवा गंभीर रूप से घायल मरीजों के पहुंचने पर उन्हें रेफर करने के सिवा और कोई चारा नहीं रह जाता।