बांका लाइव ब्यूरो : एक तरफ जरूरतमंद मरीजों को दवाओं के लाले पड़े हैं, दूसरी तरफ कचरे में फेंकी जा रही हैं सरकारी दवाएं। जी हां.. यह स्थिति है बांका जिले में एक सरकारी अस्पताल की। बिहार के बांका जिला अंतर्गत शंभूगंज के सरकारी अस्पताल परिसर में कूड़े में अनेक जीवन रक्षक दवाइयां बड़े पैमाने पर फेंकी हुई पायी गईं। स्थानीय मीडिया कर्मियों ने जब इस मसले को उठाया तो स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया।
विभागीय स्तर पर इसके लिए सफाई दी गई कि कूड़े में फेंकी गई दवाइयां एक्सपायरी डेट वाली हैं। हालांकि एक्सपायरी डेट की दवा इस तरह खुले में कूड़े में फेंक दिया जाना कहां तक उचित है, इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब विभागीय अधिकारियों के पास नहीं है। अलबत्ता शंभूगंज अस्पताल के प्रभारी ने यह बात स्वीकार किया कि खुले में इस तरह दवाओं को नहीं फेंका जाना चाहिए, बल्कि इन्हें कचरा संग्रह कक्ष में रखा जाना चाहिए था।
बहरहाल मामला यह है कि बुधवार को इस अस्पताल परिसर में कचरे के ढेर पर बड़े पैमाने पर जीवन रक्षक दवाएं फेंकी हुई मिलीं। इस बात की चर्चा बाहर हुई तो स्थानीय मीडिया कर्मी तस्वीर लेने मौके पर पहुंच गए। कूड़े के रूप में फेंक दी गई दवाओं में फुलकोनाजोल, अल्बेंडाजोल, मेट्रोनिडाजोल जैसी महत्वपूर्ण दबाए पायी गईं जिन्हें खुले में लावारिस फेंक दिया गया था। ये दवाएं अस्पताल के बाहर खुले बाजार में काफी महंगी बिकती हैं जबकि अस्पतालों में मरीजों के लिए ये मुफ्त उपलब्ध होती हैं।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार के दावों के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में इलाज हेतु आने वाले जरूरतमंद मरीजों को दिए जाने के लिए 104 तरह की दवाइयां मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों की तादाद कम नहीं होती, फिर भी ये दवाएं एक्सपायरी डेट हो गईं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है! कई मरीजों ने कहा कि भले ही अस्पताल के लिए इन दवाओं को मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है लेकिन बाजार में इनकी कीमत काफी ज्यादा है और आम लोगों की पहुंच से दूर है।
वैसे खपत से ज्यादा आपूर्ति हो जाने की वजह से दवाओं की तारीख एक्सपायर कर जाना बड़ी बात नहीं, लेकिन ऐसी स्थिति में भी शंभूगंज अस्पताल की ही बात करें तो कचरा संग्रहण के लिए बकायदा दो कमरे बने हैं जहां मेडिकल कचरे का संग्रह किया जाना है। लेकिन लापरवाही का आलम यह है कि इन्हें बाहर कचरे के रूप में फेंका जा रहा है। इस बाबत अस्पताल प्रभारी डॉ अजय शर्मा ने स्वीकार किया कि इस तरह दवाओं को बाहर खुले में फेंकना उचित नहीं है। इन्हें कचरा संग्रह कक्ष में रखा जाना चाहिए था।