BIGBREAKING : चांदन नदी पैदल पार करना भी हुआ मुश्किल, जिले के पूर्वी क्षेत्र का टूटा मुख्यालय से संपर्क

बांका लाइव डेस्क : अब चांदन नदी को पैदल पार करना भी मुश्किल हो गया है। चांदन पुल टूटने के बाद पुल के दक्षिणी हिस्से से होकर लोग पैदल नदी पार कर जिला मुख्यालय पहुंच रहे थे। लेकिन रविवार को उनकी यह सुविधा भी छीन गयी। किसी तरह नदी पार कर जिला मुख्यालय तक पहुंच पाने की जिले के पूर्वी क्षेत्र के गांव, पंचायत एवं प्रखंडों के लोगों की आस आज टूट गई।

बांका जिले की जीवन रेखा कहे जाने वाले चांदन पुल का एक बड़ा हिस्सा गत 2 मई को बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर भरभरा गया। इसी दिन से प्रशासन ने इस पुल से होकर सवारी वाहनों की तो दूर, पैदल चलने तक पर रोक लगा दी। लोगों के समक्ष इस पार से उस पार और उस पार से इस पार तक आवागमन के लिए नदी को पैदल ही पार करने का एकमात्र विकल्प शेष रह गया।

बालू उत्खनन के लिए मशीनों से नदी की बेतरतीब खुदाई की वजह से इस नदी से होकर किसी भी जगह से लोगों का पैदल पार करना उनके लिए खतरे का सबब था। पुल के इर्द-गिर्द नदी में कई जगह बालू उत्खनन कंपनी ने बालू निकालने के लिए कुएं खोद रखे हैं। इन कुओं में डूबने से पहले भी कई लोगों की मौत हो चुकी है। लोग इन कुओं की वजह से और खतरा मोल नहीं लेना चाहते।

फलस्वरूप, बालू ठेका एजेंसी द्वारा ही नदी से बालू लेकर वाहनों के निकालने के लिए पुल की वर्तमान स्थिति से कुछ दूर दक्षिण जुगाड़ टेक्नोलॉजी से डायवर्सन जैसे स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया था, जिससे होकर किसी तरह लोग जिला मुख्यालय और चांदन नदी से पूरब के हिस्से के क्षेत्रों में आवाजाही कर रहे थे। हालांकि इस क्षेत्र में भी वाहन पार कराने के लिए पैसे की उगाही आरंभ हो गई थी, जिसकी वजह से एक दिन दो गुटों के बीच बमबारी जैसी भी घटना हुई और क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो गया।

इधर दो-तीन दिनों से क्षेत्र में और खासकर जिले के दक्षिणी जलग्रहण क्षेत्रों में हो रही बारिश का असर नदियों पर पड़ा। ख़ासकर चांदन नदी में पानी का तेज बहाव देखा जाने लगा। पानी के तेज बहाव की वजह से जुगाड़ टेक्नोलॉजी से ही सही, बालू कंपनी द्वारा बनाया गया अस्थाई डायवर्सननुमा स्ट्रक्चर कट कर बह गया। इससे लोगों की आवाजाही आज एक बार फिर से पूरी तरह ठप हो गई। क्योंकि बेतरतीब खुदाई की वजह से खतरनाक बन चुकी नदी की सतह से होकर लोग गुजरने का खतरा मोल नहीं लेना चाहते।

बांका शहर के ठीक पूर्वी छोर से होकर बहने वाली चांदन नदी पर बने पुल को अभी ठीक से ढाई दशक भी नहीं हुए और यह ध्वस्त हो गया। इस पुल से पूर्व अंग्रेजों के जमाने से बना लोहे का पुल था जिसकी मजबूती का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि इसके लोहे के गाटर आज तक उखाड़े नहीं जा सके। लेकिन यह पुल किस तरह बना कि 24 वर्षों ही में ही भरभरा कर ध्वस्त हो गया! इस बात की भी जांच की मांग यहां हो रही है। लेकिन यह अलग विषय है।

फिलहाल मसला यह है कि बांका जिले के पूर्वी हिस्से के रजौन, धोरैया, बाराहाट, धनकुंड, पंजवारा, बौंसी आदि थाना क्षेत्रों के सैकड़ों गांवों के लोग पहले इस पुल और अब जुगाड़ डायवर्सन के बह जाने से बांका जिला मुख्यालय से संपर्कविहीन हो गए हैं। उन्हें जिला मुख्यालय तक आने-जाने में अब भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह परेशानी आने वाले बरसात के मौसम में और भी विकराल रूप धारण कर सकती है।

चांदन नदी में बारिश के मौसम में बाढ़ की स्थिति रहती है। इसी महीने के आरंभ में पुल टूट जाने और इस पर लोगों का परिचालन बंद कर दिए जाने के एक माह बाद भी आम लोगों की आवाजाही के लिए कोई सुगम डायवर्सन विभाग द्वारा नहीं बनाए जाने से लोगों में असंतोष व्याप्त है। वह तो कोरोना संकट के कारण लॉक डाउन रहने की वजह से लोगों की इस बीच आवाजाही कम रही, लेकिन अब लॉक डाउन को अनलॉक किए जाने की घोषणा के बाद लोगों की इस होकर आने-जाने में होने वाली आसन्न परेशानी का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

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