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अमरपुर रेफरल अस्पताल की यह बात जानेंगे तो चौंक जाएंगे आप.. तभी तो यहां से हमेशा रेफर ही होते हैं गंभीर मरीज!

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अमरपुर रेफरल अस्पताल सच में भगवान भरोसे चल रहा है! अब यह इसके नाम का कमाल है या व्यवस्था का दोष… यहां पहुंचने वाले गंभीर प्रकृति के प्रायः सभी मरीजों को इन दिनों यहां से रेफर ही कर दिया जाता है। वैसे इसके लिए पीड़ित मरीज भगवान को दोषी ठहरा सकते हैं, लेकिन जो जानते हैं, वे व्यवस्था की ही आलोचना करने से नहीं चूक रहे।

अमरपुर (बांका लाइव ब्यूरो) : अमरपुर रेफरल अस्पताल में अब कोई पुरुष एलोपैथ स्नातक यानी एमबीबीएस या इससे अधिक डिग्री वाले पुरूष डॉक्टर नहीं रह गए हैं। यहां फिलहाल तीन पुरुष डॉक्टर पदस्थापित हैं और तीन के तीनों आयुष डॉक्टर हैं। अब वे तो गंभीर प्रकृति के मरीजों या घायलों का ऑपरेशन करेंगे नहीं, तो उन्हें रेफर ही करना पड़ता है। मरीज और उनके परिजन यहां अस्पताल की भव्य बिल्डिंग देखकर ही संतोष कर लेते हैं। उन्हें झक मारकर अपनी जान बचाने के लिए आगे रेफर किए गए अस्पताल तक जाना पड़ता है।

रेफरल अस्पताल में यह स्थिति पिछले कुछ समय से ज्यादा गंभीर दौर में पहुंची है, जब से यहां के तत्कालीन प्रभारी डॉ अभय प्रकाश चौधरी को प्रोन्नति देकर बांका जिले का एसीएमओ नियुक्त किया गया है उन्होंने अपने नए पदस्थापन का पदभार ग्रहण कर लिया है। इस अस्पताल में फिलहाल तीन महिला एमबीबीएस चिकित्सक जरूर हैं जो आउटडोर संभालती हैं। कई बार वे इमरजेंसी भी संभाल देती हैं। लेकिन यह अपवाद होता है।

बाकी यहां तीन पुरुष चिकित्सक भी हैं, लेकिन सब के सब आयुष चिकित्सक हैं। वे आउटडोर तो करते हैं लेकिन गंभीर रूप से घायल या ऐसे ही गंभीर प्रकृति के मरीजों के मामले में उनके हाथ बहुत हद तक बंधे होते हैं। उन्हें रेफर करना ही पड़ता है। अभी हाल ही में अमरपुर रेफरल अस्पताल के तत्कालीन प्रभारी डॉ अभय प्रकाश चौधरी की प्रोन्नति और उनके स्थानांतरण के बाद यहां कटोरिया रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ विनोद कुमार को प्रतिनियुक्त कर उन्हें अमरपुर रेफरल अस्पताल का प्रभारी नियुक्त किया गया था।

डॉ विनोद कुमार के यहां रेफरल अस्पताल का प्रभारी बनने के बाद लोगों को उम्मीद बंधी थी कि उन्हें बहुत राहत मिलेगी। लेकिन न जाने किस दबाव में जिला स्वास्थ्य विभाग के आला पदाधिकारी ने उन्हें कुछ ही रोज में उनके नए पद से हटा दिया। उन्हें फिर से उनकी जगह वापस बुला लिया गया। अलबत्ता पिछले कुछ महीनों से बंद पड़े इसी प्रखंड के कौशलपुर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ रमेश कुमार जरूर रेफरल अस्पताल में काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी पदस्थापना दरअसल कौशलपुर एपीएचसी में ही है।

ज्ञात हो कि कौशलपुर एपीएचसी की प्रभारी डॉक्टर सुलोचना कुमारी बांका में एक निजी नर्सिंग होम में हुई गड़बड़ी के मामले में दर्ज FIR में आरोपी होने के बाद से ही अस्पताल से नदारद हैं। फलस्वरूप कौशलपुर APHC बंद पड़ा है। बांका के निजी नर्सिंग होम में प्रसव के दौरान एक जच्चा की मौत हो जाने के बाद उसकी लाश गायब कर भागलपुर में कहीं फेंक दी गई थी। इस मामले में बांका में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

इस बीच अमरपुर रेफरल अस्पताल में नियुक्त प्रभारी डॉ विनोद कुमार को न सिर्फ यहां से वापस बुला लिया गया, बल्कि इस अस्पताल का वित्तीय और प्रशासनिक प्रभार दो अलग-अलग चिकित्सकों के हाथों सौंप दिया गया। बांका सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर सुनील चौधरी को अमरपुर रेफरल अस्पताल का वित्तीय प्रभार दिया गया है। जबकि प्रशासनिक प्रभार अनुबंध पर नियुक्त अमरपुर रेफरल अस्पताल के ही एक आयुष चिकित्सक डॉ नवल किशोर साह के जिम्मे सौंपा गया है। ऐसे में इस रेफरल अस्पताल की दशा की सहज कल्पना की जा सकती है। हालांकि यहां के हेल्थ मैनेजर सुनील कुमार चौधरी को इस बात का संतोष है कि जैसे भी हो, एक एमबीबीएस मेल डॉक्टर इस अस्पताल में है और अस्पताल ठीक-ठाक ही चल रहा है, जैसा कि उन्होंने कहा।


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