बांकास्वास्थ्य

क्या कोरोना फ्री जोन है बांका, या कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था ही शिथिल है!

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बांका लाइव (ब्यूरो रिपोर्ट) : क्या यह मान लिया जाए कि बांका जिला फिलहाल कोरोना फ्री जोन है, या कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था ही शिथिल है! इन दोनों ही चीजों में से कुछ तो है बांका जिले में जिसने इसे वैश्विक महामारी कुख्यात कोरोना के संकट से अब तक महफूज कायम किए रखा है! 

वरना, तकरीबन 15 लाख की आबादी वाले इस पिछड़े जिले जहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोजी रोटी कमाने परदेश में रहने वाला है और यह परदेसी आबादी कोरोना संकट को लेकर लॉक डाउन आदेश के साथ ही वापस लौटने लगा था, में अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव केस का सामने नहीं आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। वह भी तब जबकि यह जिला तीन ओर से बिहार और झारखंड के उन जिलों की सीमा से घिरा है जहां कोरोना पॉजिटिव केस मिल रहे हैं।

कल बांका जिले की सीमा से लगे झारखंड के देवघर जिले से कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद यह जिला तीन ओर से उन जिलों की सीमा से घिर चुका है जहां कोरोना अपने पांव पसार चुका है। इससे पहले भागलपुर और मुंगेर जिले से कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सामने आने की खबरें आती रही हैं। मुंगेर जिला तो इस मामले में हॉटस्पॉट बना हुआ है।

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि बांका जिले में कोरोना की मौजूदगी या अस्तित्वहीनता एवं इससे निपटने की विभागीय तैयारियों को लेकर अद्यतन स्टेटस क्या है? सरकारी पक्ष को छोड़ दें, तो व्यवहारिक पक्ष यह है कि करीब 3009 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 11 प्रखंडों और दो नगर निकाय वाले बांका जिले की आबादी तकरीबन 15 लाख है।

स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा है कि इस बड़ी आबादी वाले जिले से अब तक 187 सैंपल कोरोनावायरस की जांच के लिए भेजे गए हैं। 175 सैंपल की जांच रिपोर्ट यहां आ चुकी है। सब के सब नेगेटिव पाए गए हैं। 12 रिपोर्ट आने शेष हैं। जांच के लिए सैंपल भेजे जाने वाले संदिग्ध मरीजों में से 27 बांका सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं।

बांका सदर अस्पताल के हेल्थ मैनेजर अमरेश कुमार ने इसकी पुष्टि की है। इस बीच एक रिपोर्ट के मुताबिक जिले के 40 गांव में मैन टू मैन स्क्रीनिंग का काम चल रहा है। 40% से ज्यादा स्क्रीनिंग का काम हो चुका है। कुछ दिनों के अंदर बाकी काम भी पूरा हो जाने की उम्मीद है। हेल्थ मैनेजर अमरेश कुमार के अनुसार 28 से 29 हजार के बीच लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।

इस बीच बताया गया कि विगत 1 मार्च के बाद से बांका जिले में 37 ऐसे प्रवासी वापस लौटे जो विदेश में रहते हैं। वहीं स्वास्थ विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दो दर्जन से ज्यादा लोग मुंगेर, पटना, नालंदा सहित देश के विभिन्न शहरों से भी यहां लोग आए। सभी के सैंपल लेकर जांच में भेजे गए। जांच रिपोर्ट आने का सिलसिला जारी है। जिले में कोरोना को लेकर अब तक कोई अन्यथा रिपोर्ट नहीं है।

कुछ दिन पूर्व बेलहर, बाराहाट एवं पंजवारा के तीन संदिग्ध मरीजों की मौत के बाद उन मरीजों की भी जांच रिपोर्ट आई। उनकी जांच रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है। इन सबके बीच खास बात यह है कि बांका जिले में कोरोना संकट से निपटने के परिप्रेक्ष्य में समुचित सर्वे, स्क्रीनिंग, काउंसिलिंग एवं जांच का अनुपात इस जिले की बड़ी आबादी के सापेक्ष तो बिल्कुल नहीं कही जा सकती। 
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा भी इस वैश्विक महामारी को लेकर बहुत कुछ इत्मीनान करने वाला नहीं माना जा सकता। अलबत्ता, जिला पुलिस और प्रशासन इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लॉक डाउन को लेकर गंभीर जरूर है, लेकिन आमजन को भी इसकी गंभीरता को स्वीकार कर पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए, इस बात से कौन इनकार कर सकता है?


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