बांका लाइव ब्यूरो : बांका जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान हुआ। मतदान से पूर्व चुनाव प्रचार अभियान के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के अंदरखाने बहुत कुछ चला, जिसका इफेक्ट अब सामने आने लगा है। कई दलों में पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता रखने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहचान कर उनके विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है। ताजा मामले में जदयू ने बांका जिले में एक बड़ी कार्रवाई की है।
जिले के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले जदयू के चार नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए 6 वर्षों के लिए दल से निष्कासित कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष के हवाले से इस आशय का पत्र पार्टी के प्रदेश महासचिव नवीन कुमार आर्य ने 4 नवंबर को जारी किया है।
पत्र के मुताबिक जिन चार जदयू नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया गया है उनमें जदयू के जिला मीडिया संयोजक पंकज दास के अतिरिक्त उनकी धर्मपत्नी वार्ड पार्षद श्वेता दास, अमरपुर प्रखंड जदयू के पूर्व अध्यक्ष शीतल मंडल एवं सेवादल प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव कृष्ण देव कुमार के नाम शामिल हैं। इन नेताओं पर विगत विधानसभा चुनावों के दौरान क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशी के साथ भितरघात करने का आरोप है।
ध्यातव्य है कि पूर्व जिला प्रवक्ता एवं सांसद प्रतिनिधि पंकज दास के नेतृत्व में अमरपुर में जदयू के सिटिंग एमएलए जनार्दन मांझी को फिर से टिकट नहीं दिए जाने की मांग को लेकर जोरदार अभियान चलाया गया था। इस आशय की मांग के साथ करीब पांच हजार पोस्टकार्ड स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से भेजे गए थे।
पार्टी नेताओं के मुताबिक पंकज दास सहित अन्य नेताओं ने चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ अभियान चलाया और इस तरह दलीय भावनाओं के साथ भितरघात किया। पंकज दास बांका जिला जदयू संगठन में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। क्षेत्र के वर्तमान जदयू सांसद से भी उनके गहरे ताल्लुक रहे। बावजूद पार्टी ने दल विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें निष्कासित किया।
इधर पार्टी से निष्कासित इन नेताओं का कहना है कि उन्होंने कहीं कोई दल विरोधी कार्य नहीं किया है। चुनाव से पूर्व भले उन्होंने क्षेत्र के बाहर के किसी व्यक्ति की जगह क्षेत्र के निवासी को ही पार्टी टिकट दिए जाने की मांग जरूर की थी और यह मांग दल विरोधी नहीं है। वैसे अब यहां इस बात की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने दल के अंदरूनी आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में छोटे नेताओं पर तो सख्त कार्रवाई कर दिखाई, लेकिन पार्टी के ही उन बड़े नेताओं का क्या, जो पहले भी और इस बार भी चुनाव अभियान के दौरान दलीय आचार संहिता का मुरब्बा बनाते रहे!