बांका लाइव ब्यूरो : चुनाव और कोरोना संकट के बीच देवी दुर्गा के जयकारे से बांका सहित जिलेभर का माहौल भक्तिमय हो गया है। शनिवार को कलश स्थापना और माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना के साथ आरंभ हुए शारदीय नवरात्र का रविवार को दूसरा दिन है। रविवार को मां भगवती के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।
देवी सूक्त, दुर्गा सप्तशती और भजन कीर्तन के साथ साथ देवी मंडप और घर घर से गूंजती शंख- घड़ीघंट की आवाज से बांका सहित जिले भर का माहौल देवी मय हो गया है। धूप- घूमना और गुग्गुल की सुगंध वातावरण को सुवासित कर रही है।
देवी मंडपों में पूजा पाठ के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा है। सभी देवी मंदिरों में मां भगवती दुर्गा एवं अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। कई जगह प्रतिमाओं के रंग रोगन का काम भी चल रहा है।
चुनावी माहौल और कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष दुर्गा पूजा के आयोजन में कई मर्यादाएं प्रशासनिक स्तर पर रेखांकित की गई हैं। यहां तक कि इस बार सिर्फ 9 दिनों में ही दुर्गा पूजा संपन्न कर लेने का प्रशासनिक दिशा निर्देश है। प्रशासनिक दिशा निर्देश के मुताबिक 25 अक्टूबर को ही विजयादशमी मनाने एवं प्रतिमा विसर्जन की तिथि निर्धारित की गई है।
हालांकि पूजा समितियों को इस पर आपत्ति है। पूजा समितियों ने शनिवार को भी इस संबंध में यहां एक बैठक कर प्रशासनिक दिशानिर्देश को मानने से इनकार करते हुए 25 अक्टूबर को विजयादशमी मनाने एवं इसी दिन प्रतिमा विसर्जन को धर्म परंपराओं के विपरीत करार दिया तथा 26 अक्टूबर को विजयादशमी मनाने एवं प्रतिमा विसर्जन का निर्णय लिया है।
इधर बांका शहर के जगतपुर, विजयनगर, करहरिया एवं पुरानी ठाकुरबाड़ी स्थित देवी मंदिरों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है जहां प्रतिमा निर्माण का काम लगभग पूरा हो चुका है। आयोजन समितियों के मुताबिक इस बार मेला लगाने की छूट नहीं है। पंडाल एवं बैनर लगाने से भी प्रशासनिक मनाही है। हालांकि माना जा रहा है कि इन सब के बावजूद महाअष्टमी से लेकर विजयादशमी तक देवी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। प्रशासनिक स्तर पर इसे लेकर व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं।