बांका लाइव ब्यूरो : यों तो बांका शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मीनारायण पुरानी ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर स्थित देवी मंडप का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। लेकिन कुछ चीजें यहां ऐसी हैं जो इस देवी मंडप को विशिष्ट बना देती हैं। पुरानी ठाकुरबाड़ी दुर्गा मंदिर की इन्हीं विशिष्टताओं में एक है शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां हर संध्या होने वाली महाआरती…।
शहर के मध्य अवस्थित होने की वजह से यह देवी मंडप ऐसे भी पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लेकिन खासतौर से इस मंडप में शारदीय नवरात्र के दौरान माता शैलपुत्री से लेकर माता सिद्धिदात्री तक की महाआरती, जो हर रोज संध्या समय आयोजित होती है, उसमें शहर भर के लोग शामिल होते हैं।
संध्या महाआरती की वजह से पुरानी ठाकुरबाड़ी देवी मंडप का नजारा नवरात्रि की हर शाम देखने लायक होता है। जगमगाती रोशनी और बेहतरीन सजावट के बीच वैदिक मंत्रोचार के साथ मार्कंडेय पुराण के देवी सूक्त की स्वर लहरियों की गूंज और इसी दौरान उच्च स्वर में गूंजती माता दुर्गा की समर्पण भावयुक्त मधुर आरती श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है।
पारंपरिक घंटा, नगाड़ा और घड़ीघंटे के साथ शंख की शानदार ध्वनि माता की आरती तथा इस अवसर को नैसर्गिक बना देती है। देवी दुर्गा से लेकर सनातन धर्म, वैश्विक शांति, मानवता के कल्याण, गोवंश की रक्षा एवं देश प्रेम के नारे जब गूंजते हैं तो महाआरती का मकसद और लक्ष्य न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि पूरी तरह समष्टिगत हो जाता है।
आरती का अनुष्ठान पंडित संजीव चौधरी तथा पंडित ओम प्रकाश द्वारा संपन्न होता है। मेड़पति अमर कुमार मिश्र ने बताया कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन संध्या महाआरती के अवसर पर माता रानी को अलग-अलग भोग लगते हैं। आरती के बाद प्रसाद वितरण होता है जिसे ग्रहण करने के बाद श्रद्धालु अपने घर को वापस लौटते हैं। करीब 2 घंटे के इस आयोजन से आसपास का संपूर्ण वातावरण पूरी तरह श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्म से लबरेज होता है।