ब्यूरो रिपोर्ट : नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन को हटाने के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज सरकार और दिल्ली पुलिस को यह कहते हुए नोटिस जारी किया कि सार्वजनिक मार्ग पर “अनिश्चितकालीन” विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “विरोध प्रदर्शन लंबे समय से चले आ रहे हैं। उनके पास विरोध करने का अधिकार है, लेकिन एक आम क्षेत्र में विरोध का अनिश्चित काल नहीं हो सकता।” इस मामले में आगामी 17 फरवरी को पुनः सुनवाई होगी।
ज्ञात हो कि सैकड़ों प्रदर्शनकारी, मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे, दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम CAA, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर (NPR) के खिलाफ लगभग दो महीने से धरना पर बैठे हैं।
अदालत ने कहा, “क्या आप एक सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध कर सकते हैं? एक सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध कर इस तरह दूसरों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते हैं”। हालांकि इस मामले में अदालत ने कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा, “हमें दूसरे पक्ष को सुनने दें”।
इस मामले में विरोध पक्ष का कहना है कि इसने दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाली आम और सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे सैकड़ों यात्रियों को परेशानी हो रही है।
देश भर के लोगों को आकर्षित करने वाला शाहीन बाग सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया है। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक वजह से उत्पीड़ित और विस्थापित होकर देश में आए शरणार्थियों को कानूनी तौर पर नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार उन्हें डर है कि इस कानून का इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ किया जा सकता है।