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बांका- कटोरिया एनएच : ये रास्ता बड़ा कठिन है, चलना जरा संभल के!

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नहीं बदल रही बांका- कटोरिया एनएच की सूरत, अनगिनत बड़े और खतरनाक गड्ढे दे रहे हादसों को आमंत्रण

रितेश सिंह, कटोरिया : कभी सपाट, चिकनी और चकाचक रहने वाला बांका- कटोरिया एनएच आज बदहाली के सीमांत पर है। तभी तो इस पर चलने वाले खुद को समझाने पर विवश होते हैं- ‘यह रास्ता बड़ा कठिन है, चलना जरा संभल के’! मरम्मत के समय बरती गई अनियमितता एवं सड़कों पर बहते नाले व बारिश के पानी ने कटोरिया- बांका एनएच की सूरत बिगाड़ दी है। इस बदहाली को दूर करने के लिए प्रशासनिक पहल शून्य है।

जनप्रतिनिधि भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे। नतीजन कठौन से आरपाथर के बीच सड़क के गढ्डों की संख्या में कमी नहीं लाई जा सकी है। सड़क में दो से तीन फीट तक गड्ढे बने हुए हैं जिनमें बरसात का पानी भरने से सड़क का कोई अता पता नहीं चल पाता है।

सड़क खराब होने के कारण हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। लेकिन फिर भी जर्जर सड़क की तस्वीर नहीं बदल रही है। सड़क पर बने अनगिनत बड़े गड्ढे को देखकर यह पता नहीं चलता है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क। सड़क पर वाहन दौड़ते नहीं हैं बल्कि रेंगते हैं।

गड्ढे इतने अधिक हैं कि वाहन चालक एक गड्ढे से अपने वाहन को बचाता है तो दूसरे गड्ढे में जाने को तैयार रखता है। वाहन चलाने के दौरान ध्यान यह रखा जाता है कि वाहन बड़े गड्ढे में नहीं जाए। सड़क से छोटी वाहनों का गुजरना तो काफी मुश्किल हो गया है। वहीं बडी़ वाहनों के फंस जाने एवं पलट जाने की भी डर सताती है।

इस पथ की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि इस पथ पर रोजाना सैकड़ों में चलने वाली छोटी-बड़ी वाहनों को गड्ढों में बहुत सावधानी पूर्वक पार करना पड़ता है। बाइक एवं ऑटो तो इन गड्ढों में फंसकर अक्सर पलटी मारकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। इस समस्या से प्रशासन भी बेखबर नहीं है। लेकिन समस्या के समाधान की ओर अनदेखी की चादर ओढ़े हुए हैं। अगर स्थिति यही रही तो बारिश के मौसम में परेशानी और बढ़ जाएगी।


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