बांका लाइव ब्यूरो : कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने अपना समर्थन देकर बांका में भारत बंद को प्रभावी बना दिया। वैसे बांका में बंद का मिलाजुला असर है। मंगलवार को सुबह से यहां की दुकानें और बाजार बंद रहे। लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही लोग सड़कों पर नजारा देखने निकले। कुछ लोगों ने खरीदारी भी की। क्योंकि तब तक यहां अनेक दुकानें भी खोल दी गयीं।

कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित भारत बंद को लगभग तमाम विपक्षी दलों समेत अनेक राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। इस लिहाज से बंद की गंभीरता का अंदाजा लगाते हुए मंगलवार को ज्यादातर लोगों ने सड़कों पर अपने वाहन नहीं निकाले। यात्री वाहन भी जहां के तहां खड़े रहे।
हालांकि कुछ मालवाहक वाहनों ने सड़कों पर निकलने का रिस्क तो लिया लेकिन बंद समर्थकों ने देखते ही उन्हें सड़कों के किनारे लगवा दिया। यातायात में व्यवधान की वजह से बंद को लेकर सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में भी उपस्थिति मंगलवार को अपेक्षाकृत कम रही। ज्यादातर कोचिंग संस्थान बंद रहे। हालांकि सरकारी शिक्षण संस्थान वैसे भी पहले से कोविड-19 को लेकर जारी एडवाइजरी और कुछ स्थानीय प्रशासनिक निर्देशों के अधीन संचालित नहीं हो रहे।
कुल मिलाकर बांका में बंद का मिला-जुला असर है। बंद समर्थक दलों और संगठनों ने कतिपय आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से मुक्त रखा है। लिहाजा अस्पताल, निजी क्लीनिक एवं दवा दुकानें खुले रहे। दूध, अखबार एवं फल तथा सब्जियों की भी दुकानें भी खुली रहीं, लेकिन बाजार क्षेत्र की अन्य दुकानों पर ताला लगा रहा। सड़कों पर चहल-पहल भी अपेक्षाकृत बहुत कम रही। हालांकि इस में बंद समर्थकों की भूमिका कम और कड़ाके की ठंड व घने कोहरे की भूमिका ज्यादा रही।