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विधानसभा चुनाव : बांका की राजनीति में वर्चुअल चल रहा सब कुछ, जनता से किसी को मतलब नहीं!

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बांका लाइव (राजनीतिक डेस्क) : अजीब विडंबना है! बांका की राजनीति में सब कुछ वर्चुअल चल रहा है। वर्चुअल रैली.. वर्चुअल संपर्क.. वर्चुअल वार्ता और चुनाव की तैयारियां भी वर्चुअल। लब्बोलुआब कि जनता से किसी को मतलब नहीं! आखिर हो भी क्यों? राजनीति के घाघ और छत्रप जानते हैं कि चुनाव में असली जनमत और जनेच्छाओं से नहीं, बल्कि समीकरणों से जीत दर्ज होती है!

इधर बांका जिले की जनता अपनी ही समस्याओं से कराह रही है, तो अपनी बला से। समय-समय पर बयानवीर नेता और जनप्रतिनिधि उन्हें आशा, उम्मीद और दिलासाओं का मरहम लगा जाते हैं। जनता को भी, वर्चुअल ही सही, कुछ देर के लिए राहत महसूस होती है। मरहम के असर से जनता अपनी समस्याएं कुछ देर के लिए भूल जाती हैं। उधर नेता और जनप्रतिनिधि भी अपना काम हो गया मानते हुए, अपने असली कामों में लग जाते हैं।

अव्वल तो यह सब तब भी चल रहा है जब यहां विधानसभा के चुनाव सामने हैं। समझा जा सकता है कि ऐसे चुनावों के साढे चार वर्षों तक क्या कुछ चल रहा होता है! ऐसे में किसी गांव, पंचायत, प्रखंड, विधानसभा क्षेत्र या जिले का क्या विकास और कैसा भविष्य होगा, यह समझने की ना तो किसी को फुर्सत होती है और ना ही इसके लिए वे कोई जहमत उठाते हैं। लिहाजा लोकतंत्र के इस अनूठे खेल का यह सिलसिला साल दर साल जारी रहता है। लेकिन इसका खामियाजा भरना तो आखिर आम जनता को ही पड़ता है।

फिलहाल, जबकि बिहार में विधानसभा के चुनाव सामने हैं, प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारियां जोर शोर से जारी हैं, तो इन चुनावों पर अपनी नजर टिकाए नेताओं और खासकर संभावित प्रत्याशियों ने भी अपनी तैयारियां उसी अंदाज में आरंभ कर दी हैं। लेकिन इस बार कोरोना इफेक्ट कहें या लॉकडाउन का असर, उनकी तैयारियां वर्चुअल दायरे में ही सिमट कर रह गई हैं।

यह वह दायरा है जहां नेताओं और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों की पहुंच आम जन क्षेत्र के व्यापक क्षितिज की बजाय अपने अपने कार्यकर्ताओं के ही एक लघु वर्ग तक हो पा रही है। वह वर्ग है, जो समर्पित है या नहीं, इस बात का कोई मायने नहीं रहता बल्कि मायने यह रखता है कि वह वर्चुअल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कितनी पकड़ रखता है। ऐसे में आम जन को आज भी चुनावी माहौल का बहुत इल्हाम नहीं हो पा रहा। भले ही वर्चुअल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चुनावी नारे गूंजने लगे हैं।


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