मिसाल : जरूरतमंद मांगते नहीं, ये खोज कर पहुंच जाते हैं जरूरतमंदों के पास
बांका लाइव डेस्क : एक नीति वाक्य है.. जो बच्चा रोता नहीं, भूख उसे भी लगी होती है! वह तो मां का हृदय होता है कि बच्चे का भूख महसूस कर लेती हैं और उस भूख को मिटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार होती हैं। जरूरी नहीं कि यह मातृ तत्व सिर्फ लौकिक मां में ही हो, बल्कि यह तत्व किसी भी हृदय में पल्लवित- पुष्पित हो सकता है!
आज कोरोना संकट के दौर में लॉक डाउन की वजह से दिन भर की कमाई से शाम को रोटी का इंतजाम करने वाला परिवार खासतौर से बेजार है। दिहाड़ी मजदूरी से लेकर छोटी पूंजी वाले कारोबारी तक का परिवार इसी श्रेणी में जीवन जीता है जो आज तीन सप्ताह से जारी लॉक डाउन में भूख की मार झेल रहा है।
इस दौर में कई सहृदय व्यक्ति और संस्थाएं आगे आकर उनकी मदद को हाथ बढ़ा रहे हैं। लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसे भी सहृदय मानवतावादी युवा हैं जो ऐसे जरूरतमंदों के लिए रॉबिनहुड से कम की भूमिका में नहीं हैं। सामाजिक सरोकारों में खास अभिरुचि रखने वाले युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट आर के सिन्हा उर्फ राजू सिन्हा एवं समाजसेवी सह प्रमुख व्यवसाई गौरव मिश्रा ऐसे ही जरूरतमंदों के बीच रॉबिनहुड की भूमिका में हैं, अभाव की वजह से जिन के चूल्हे नहीं जल पा रहे।
ये दान लेकर दान नहीं करते, बल्कि खुद की कमाई से गरीब, विवश और लाचार जरूरतमंदों के चूल्हे जलाने और उनके परिवार के लिए खाने-पीने का इंतजाम करने की कोशिश करते हैं। ऐसा जरूरतमंद तबका ही उनका परिवार बना हुआ है। जरूरतमंद इनसे मांगते नहीं, बल्कि ये स्वयं खोजते हुए उनके घरों तक पहुंच कर उनकी जरूरत को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
इन्हीं प्रयासों के साथ उन्होंने बांका सदर प्रखंड के सुदूरवर्ती लोधम एवं छत्रपाल पंचायत के आधे दर्जन गांवों में घूम-घूम कर जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न सहायता उपलब्ध कराई। इससे पहले सीए राजू सिन्हा ने इसी इलाके के 400 जरूरतमंद परिवारों को सहायता उपलब्ध कराई थी।
बाद में उन्होंने शहर के मल्लिक टोला सालिक रोड में दर्जनों परिवारों को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराई। उन्होंने अखबार में खबर पढ़कर बांका शहर के ही जगतपुर महादलित टोले में दर्जनों परिवारों को खाद्यान्न मुहैया कर उनकी जरूरत पूरा करने की कोशिश की। कोशिश तो इनकी यह भी रहती है कि उनकी सेवाओं की चर्चा ना हो। सेवा भावना की यह एक बड़ी मिसाल है। अलबत्ता आज के दौर में मीडिया की सर्व व्यापकता की वजह से उनकी दरियादिली लाख छिपाने के बावजूद, भले ही मिसाल के तौर पर, लेकिन चर्चा बन ही जाती है।