बांका लाइव (ब्यूरो रिपोर्ट) : मान्यता है कि सावन देवाधिदेव महादेव का प्रिय महीना है। इस माह में भगवान भोलेनाथ को बिल्वपत्र एवं जल अर्पण का अपना एक विशेष महत्व है। इनके अर्पण से देवाधिदेव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उस पर भी सावन की सोमवारी हो तो श्रद्धा- पूजा और भगवान शिव की प्रसन्नता का क्या कहना! परंपरा से यह मान्यता चली आ रही है।
पौराणिक दारुक वन क्षेत्र भगवान शिव का आगार रहा है। इसी क्षेत्र में 3009 वर्ग किलोमीटर के दायरे में बांका जिला बसा है। सभी जानते हैं कि विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का एक बड़ा हिस्सा (करीब दो तिहाई) बांका जिले में ही पड़ता है। इस जिले के उत्तर सुल्तानगंज में पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा है तो दक्षिण में रावणेश्वर बाबा बैद्यनाथ धाम। इन दोनों तीर्थों के बीच के क्षेत्र में हजारों छोटे बड़े शिवालय हैं।
भगवान शिव इस क्षेत्र में परम पूज्य हैं। सावन में इन शिवालयों में विशेष पूजा अर्चन आयोजन होते हैं। सावन के पूरे माह श्रद्धालु जल अर्पण के लिए इन शिव मंदिरों में पहुंचते हैं। सावन की सोमवार को तो इन शिवालयों में मेले का अद्भुत नजारा होता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थितियों में वह पारंपरिक दृश्य नहीं है। लेकिन जहां शिव हैं और भक्त भी हैं, वहां शिवालयों में पूजा अर्चना कौन रोक सकता है!
लिहाजा तमाम प्रशासनिक रोक और हिदायतों के बाद भी सावन की दूसरी सोमवारी को बांका सहित जिले भर के शिवालयों में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। मंदिरों में उनकी उपस्थिति कम नहीं। लेकिन विपरीत परिस्थितियों की वजह से श्रद्धालुओं में वह उत्साह कायम नहीं है जो परंपराओं से यहां देखा जा रहा था।
सोमवार को सुबह से ही बांका शहर के बाबा भयहरण स्थान, पुरानी ठाकुरबाड़ी, विजयनगर महादेव स्थान, बैकुंठनाथ महादेव, करहरिया दुर्गा स्थान महादेव मंदिर आदि समेत जिले के सुप्रसिद्ध ज्येष्ठगौरनाथ धाम, धनकुंडनाथ धाम, लबोखरनाथ धाम, कैलाशनाथ धाम आदि में पूजा पाठ के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा पाठ के लिए इन मंदिरों में पहुंचे तो पूरा वातावरण शिवमय हो गया।