शहरवासियों की आस्था का केंद्र है बाबूटोला स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर
बांका LIVE डेस्क : अगर आप बांका शहर के हैं तो पंचमुखी श्री हनुमान मंदिर को जरूर जानते हैं. और सिर्फ शहर के लोग क्यों जिलेभर में इस अनूठे हनुमान मंदिर की प्रतिष्ठा है. बांका शहर के बाबू टोला तारा मंदिर रोड में स्थित इस धर्मस्थल की स्थापना तो स्थानीय मोहल्ले वासियों की पूजा पाठ के केंद्र के रूप में की गई थी, लेकिन तब शायद किसी को पता नहीं था कि देखते ही देखते यह शहरवासियों की आस्था का एक बड़ा केंद्र बन जाएगा और इसकी आध्यात्मिक प्रतिष्ठा जिलेभर में फैल जाएगी.
अनोखे वास्तुशिल्प और बेमिसाल बनावट के कारण भी यह हनुमान मंदिर चर्चा और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर परिसर के मुख्य दरवाजे, इसके आंगन और मंदिर परिसर के अग्रभाग में बनी भगवान भोले शंकर की विशाल प्रतिमा भी इसे अन्य मंदिरों की अपेक्षा विशिष्ट बनाते हैं. रुद्रावतार महावीर श्री हनुमान का पंचमुखी स्वरूप इस मंदिर के गर्भगृह में अवस्थित है जो यहां के अधिष्ठाता देवता हैं. मंदिर के एक हिस्से में शिव पार्वती का मंदिर भी है. कभी इसी स्थल पर शिव पार्वती और हनुमान जी का एक-एक छोटा मंदिर हुआ करता था.
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कुमार महारथी (गुड्डू) के अनुसार बेहद सामाजिक और रचनात्मक सोच रखने वाले स्थानीय निवासी रामनरेश साह जी ने इन छोटे मंदिरों की जगह वर्तमान भव्य मंदिर की परिकल्पना की थी. उनके अपने प्रयास और खर्चे से इस मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ. तब उन्होंने भी नहीं सोचा था कि मंदिर इतना भव्य, विशाल एवं आकर्षक होगा और स्थानीय लोगों के पूजा पाठ के केंद्र के रुप में विकसित किए जा रहे इस मंदिर की प्रतिष्ठा दूर दूर तक फैलेगी, यह मंदिर शहर वासियों के आकर्षण और आस्था का केंद्र बनेगा. मंदिर में पूजा पाठ के लिए एक नियमित पुजारी की व्यवस्था है. लेकिन यहां पूजा अर्चना करने वालों की कतार लगभग दिनभर बनी रहती हैं. विशेष अवसरों पर तो यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जैसे उमड़ पड़ती है.
समय-समय पर भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रम यहां होते रहते हैं. साप्ताहिक तौर पर ब्रम्हाकुमारी प्रजापिता समाज द्वारा यहां सत्संग का आयोजन होता है. सुबह- शाम मंदिर में पंचमुखी श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए भी श्रद्धालु नियमित रूप से यहां उमड़ते हैं. मंदिर में सुबह की पूजा और शाम की आरती के वक्त बजने वाले घंटा की ध्वनि से आसपास का पूरा वातावरण स्निग्ध और अध्यात्ममय हो जाता है. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बैठने से लेकर भजन- कीर्तन, सत्संग करने तक की जगह पर्याप्त है. खुले में होने की वजह से इस मंदिर का लोकेशन भी बड़ा विहंगम है. दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से यह मंदिर बांका शहर का गौरव और आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है.