मनोज उपाध्याय/ संपादकीय
सुदूर हैदराबाद और दिल्ली की वारदातों पर बांका में मोमबत्ती लेकर जुलूस निकालने वाले संवेदनशील पुरुषार्थी आज कहां हैं? क्यों बांका जिले में होने वाली ऐसी वारदातों को लेकर उनमें कोई हलचल नहीं है, जिनके हैदराबाद व दिल्ली में होने पर उनके खून खौल जाते हैं! अपने ही यहां के जख्मों को लेकर क्यों ऐसे संवेदनशील पुरुषार्थियों को पीड़ा नहीं होती! ऐसे चंद सवालात आजकल बांका जिले की बन रही हालात को लेकर यहां की फिजाओं में तैर रहे हैं, जिनका जवाब फिलहाल कहीं से मिलता नजर नहीं आ रहा!
ये सवालात लाजमी हैं, क्योंकि हैदराबाद की जिस घटना को लेकर पूरा देश खौल उठा था उस खलबलाहट के बुलबुले बांका की सड़कों पर भी महसूस किए गए थे। इससे पहले दिल्ली में भी हुई ऐसी ही एक घटना को लेकर रात के अंधेरे में मोमबत्तियां और उन्हें थामे संवेदनशील क्रांतिकारी हाथ रोशन हो उठे थे। लेकिन बांका जिले में पिछले कुछ रोज से लगातार हो रही ऐसी ही दुर्दांत और दर्दनाक वारदातों को लेकर यहां की क्रांतिकारी और संवेदनशील भावनाएं पता नहीं क्यों गुम हो गई हैं!
ऐसी दुर्दांत और दर्दनाक वारदातों की ताजा फेहरिस्त गत 19 नवंबर को बननी शुरू हुई और अब तक की सीमित अवधि में इस फेहरिस्त में तीन मामले जुड़ चुके हैं। विगत 19 नवंबर को बांका सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत सामुखिया मोड़ स्थित सिरामिक फैक्ट्री के खंडहर से एक युवती की क्षत-विक्षत लाश बरामद की गई। इस घटना को 3 सप्ताह से ज्यादा हो गए, लेकिन पुलिस युवती की पहचान तक नहीं कर पाई है, अपराधियों की गिरफ्तारी तो दूर की बात है।
आरंभिक तौर पर आशंका व्यक्त की गई कि उक्त युवती की हत्या दुष्कर्म के बाद की गई। हत्या के बाद युवती का चेहरा बुरी तरह कुचल दिया गया था, ताकि लाश की पहचान नहीं हो पाए। पुलिस ने इस मामले के जल्द उद्भेदन का दावा किया था। लेकिन अब तक उसे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई है। अभी दो रोज पूर्व बाराहाट थाना क्षेत्र में दसवीं कक्षा की एक नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप की एक घटना सामने आई। हालांकि इस मामले में दो आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।
वहीं सिर्फ एक दिन पूर्व बांका सदर थाना क्षेत्र के ही हथगढ़ भोड़वा झरना के पास पेड़ से लटकी एक युवती की लाश बरामद की गई। यह युवती भी दसवीं कक्षा की छात्रा थी। परिवार वालों ने उसके अपहरण और हत्या का आरोप लगाया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवती के साथ हत्या से पहले दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि हुई। एक आरोपी के खिलाफ मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। आरोपी अब तक फरार है।
बहरहाल, सवाल यह है कि जिस तरह बलात्कारियों और हत्यारों को फांसी की सजा और वह भी त्वरित न्यायालय में केस में केस ट्रायल कर जल्द से जल्द सजा मुकर्रर करने की मांग देशभर में की गयी, उस मांग में बांका जिले के युवाओं ने भी हाथों में मोमबत्तियां लेकर अपनी आवाज बुलंद की। लेकिन आज जब अपने ही जिले में ऐसी वारदातों का एक जघन्य सिलसिला कायम हो गया है, तब उनकी तिलमिलाहट और संवेदनशील क्रांतिकारी आवाज न जाने कहां गुम हो गई है?