बांकाबिहारराजनीति

अपने ही क्षेत्र में जनता के सवालों पर क्यों भड़क गए बीजेपी नेता व राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल!

जनता के सवालों का समाधान करने की बजाय जनता की ही कर दी ऐसी की तैसी

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ब्यूरो रिपोर्ट : आखिर ऐसा क्या पूछ लिया उन्होंने? उन्हीं के क्षेत्र की तो जनता है सवाल पूछने वाली। लोकतंत्र में जनता को अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछने का तो हक है ही। जनता के ही सवाल पर क्यों आग बबूला हो गए बांका के बीजेपी विधायक और राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री! क्या यही सुशासन है! क्या यही सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास है! क्या यही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का देश और देश की जनता के लिए चौकीदारी करने का दंभ है!

ऐसे ही सवाल बांका के बीजेपी विधायक और बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल के व्यवहार को लेकर क्षेत्र में पिछले 2 दिनों से वायरल हैं। इसके साथ उनके कुछ वीडियो भी यहां तेजी से वायरल हो रहे हैं जिनमें एक गांव में आम जनता द्वारा क्षेत्र की समस्याओं और विकास को लेकर उनसे पूछे गए सवाल पर मंत्री महोदय के अप्रत्याशित व्यवहार रिकॉर्ड हैं।

बताया गया कि एक कार्यक्रम के सिलसिले में कल ठीक उसी वक्त जब सूर्य ग्रहण का दौर था, मंत्री रामनारायण मंडल बांका विधानसभा क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में स्थित कर्मा पंचायत अंतर्गत भदरार गांव में थे। बताया यह भी गया कि गांव में वह एक सड़क से जुड़े कार्यक्रम को लेकर गए थे जिसके जीर्णोद्धार और पुनरस्थापन को लेकर गत वर्ष 14 जून को धोरैया के जदयू विधायक मनीष कुमार ने बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी।

बहरहाल, जिस भी वजह से मंत्री रामनारायण मंडल भदरार गांव गए हों, उनके साथ कई अधिकारी, बीजेपी जिला अध्यक्ष विकास सिंह एवं कई प्रमुख कार्यकर्ता भी मौजूद थे। मंत्री थे, इसलिए जाहिर- सी बात है, ग्रामीणों की भीड़ भी वहां इकठ्ठी हो गई। कुछ ग्रामीणों ने मंत्री जी द्वारा उनके गांव- इलाके की उपेक्षा, स्थानीय समस्या और परेशानियों को लेकर उनसे सवाल कर दिए। बस क्या था, मंत्री जी आपे से बाहर हो गए। आग बबूला होकर उन्होंने सवाल पूछने वाली अपनी ही जनता की वहीं ऐसी की तैसी कर दी। हंगामा खड़ा हो गया। अफरातफरी की स्थिति कायम हो गई। ऐसा करते हुए मंत्री जी और उनके कार्यकर्ता गाड़ी पर बैठ गए।

जैसा की वीडियो में मंत्री जी कहते सुने जा रहे हैं.. तुम्हारे ही वोट से जीते हैं क्या? दिए थे हमको वोट? किसी अन्य ने बीच में कह दिया.. 2 टके का आदमी, जैसे कि तुम्हारे पास 20 हजार वोट है और तुम्हारी ही वोट से जीते हैं हम। ये लोग काबिल ज्यादा बनते हैं। जैसे लगता है 20 हजार वोट हो भदरार में और इन्हीं के वोट से जीत होती हो हमारी!

मंत्री जी एक अन्य सवाल पूछने वाले पर बिगड़ते हैं, उनकी ऐसी की तैसी करते हैं… बहुत बात बनाता है.. बात मत बनाइए.. भागते हैं कि नहीं यहां से? वोट दिए थे हमको? काबिल बनते हैं ज्यादा? पार्टी के कुछ कार्यकर्ता जो मंत्री के साथ थे, उन्होंने भी गांव के लोगों को नहीं बख्शा। हालांकि स्थानीय लोग भी सवाल पूछने से नहीं चूके। मंत्री जी के कार्यक्रम में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया।

विदित हो कि यह चुनावी वर्ष है और नेताओं तथा जनप्रतिनिधियों का गांव- कस्बे की ओर लौटने का सिलसिला जारी है। जनता से वे संपर्क साधने लगे हैं। भूल- चूक.. लेनी- देनी का मंत्र लेकर लोगों को रिझाने में लगे हैं। ऐसे में क्षेत्र की जनता भी नेताओं और जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछने से पीछे नहीं हट रही। कुछ नेता और जनप्रतिनिधि संजीदगी से उनके सवालों का जवाब देकर समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं तो कुछ मौके पर ही लोकतंत्र की प्राणवायु जनता की ऐसी की तैसी कर रहे हैं। 


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