BANKA : हर किसी के लिए जिंदगी हसीन और जवानी गुलजार नहीं होती। कहते हैं, मजबूरी आदमी को तोड़ देता है और जब आदमी टूट जाता है तो उसके लिए कोई भी कदम उठा लेना नामुमकिन नहीं होता। हालांकि यह कायरता है और इस कायरता का प्रायश्चित नहीं होता। नीति शास्त्र से लेकर विधिशास्त्र तक इसकी अनुमति नहीं देते।
बावजूद जो कायर और कमजोर होते हैं, वही ऐसे कदम उठा लेते हैं जैसा कि बांका सदर थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव निवासी कमलेश पंडित ने उठा लिया। उसने आर्थिक तंगी के सामने घुटने टेक दिए और मौत को वरण कर लिया। उसने आत्महत्या कर ली। अपनी मौत के लिए वह खुद जिम्मेदार है, इस आशय का एक सुसाइडल नोट भी वह लिख गया। लब्बोलुआब यह कि, वह तो चला गया लेकिन उसके जीते जागते परिवार पर क्या बीत रही, इसका जवाब उसकी आत्मा भी नहीं दे सकेगी।
कमलेश पंडित की उम्र करीब 30 वर्ष रही होगी। वह शंकरपुर गांव निवासी शिव कुमार पंडित का पुत्र था। सोमवार को उसने परिवार के लोगों के साथ भोजन किया, जैसा कि उसके भाई संतोष कुमार का कहना है। शाम को वह निकला लेकिन वापस नहीं लौटा। मंगलवार की सुबह परिवार वालों को पता चला कि उसकी लाश भसौना बांध, ककवारा के पास जंगल में एक पेड़ से लटकी मिली है।
सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंची थी और लाश को अपने हस्तगत किया था। लाश का पोस्टमार्टम कराया गया। पिता शिव कुमार पंडित के बयान पर मामले में यूडी केस भी दर्ज किया गया। परिवार के लोगों ने बताया कि वह पढ़ा लिखा लड़का था। बावजूद उसे कोई रोजगार ना मिला। आर्थिक तंगी से परेशान था कमलेश। रोजगार और आमदनी के अभाव में वह टूट रहा था। उसकी मनःस्थिति अनियंत्रित हो गई और उसने आत्महत्या जैसा कायरतापूर्ण कदम उठा लिया। लेकिन पूरे होशो हवास में रहने वाले लोग इसे कभी जायज नहीं ठहराएंगे। किसी के लिए भी नहीं।