‘हो बs ले…हैय की होलैय हो! डुबलै सब गाड़ियो.. अबs केना पार करतैय लोगंs चानन..!’
बांका लाइव डेस्क : ‘हो बs ले…हैय की होलैय हो! डुबलै सब गाड़ियो.. अबs केना पार करतैय लोगंs चानन…’ बांका शहर के पूर्वी छोर से लगी जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली चांदन नदी के दोनों तटों पर जमा हजारों लोगों की जुबान से बरबस यही वाक्य सुनने को मिल रहे थे….!
यह दृश्य सोमवार की सुबह की है, जब चांदन नदी के इस पार से उस पार जाने वाले और उस पार से इस बार आने वाले लोग अपने अपने किनारे पर पहुंचते ही ठिठक कर रुक जाने के लिए विवश हो गए। दरअसल चांदन नदी के दक्षिणी जलग्रहण क्षेत्रों में रविवार को दिन भर हुई भारी वर्षा की वजह से बीती आधी रात के बाद से ही नदी में तेज बहाव जारी हो गया।
तेज बहाव की वजह से निजी और सार्वजनिक सहयोग से नदी पार करने के लिए बनाए गए अस्थाई डायवर्सन का एक बड़ा हिस्सा पानी में फिर से बह गया। आज सुबह कुछ वाहनों को इस हिस्से से होकर पार कराने की कोशिश की गई लेकिन पानी के तेज बहाव में वे वाहन भी फंस गए। पानी का तेज बहाव और उसमें फंसेे वाहनों की कतार को देख दोनों किनारे आने जाने वाले लोगों की जुटी भीड़ भी नदी में उतरने से घबरा गई और वे जहां के तहां रुक गए।
नदी की जो वर्तमान दशा है उसकी वजह से बांका जिले के तकरीबन 40 फ़ीसदी हिस्से का जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया है। गत जनवरी माह में चंदन पुल में दरार आ गई थी, जिससे बड़े वाहनों का आवागमन इस पर से होकर रोक दिया गया था। लेकिन छोटे वाहन और ट्रैक्टर आदि फिर भी इस पर से होकर चलते रहे। बालू से ओवरलोड ट्रैक्टरों के भारी दबाव की वजह से पुल का पश्चिमी हिस्सा दो माह पूर्व बुरी तरह से धंस गया। इसके बाद इस पुल पर से होकर वाहनों की तो दूर, लोगों के पैदल आने-जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इतना समय बीत जाने के बाद भी पुल के समानांतर ना तो कोई डायवर्सन बना है और ना ही इस पुल के पुनर्निर्माण को लेकर कोई ठोस पहल देखी जा रही है। इस पुल के पुनर्निर्माण और डायवर्सन की बात बयानवीर नेताओं के शब्द संचार माध्यमों में जरूर सुर्खियों में देखे जा रहे हैं, लेकिन जिले के लोगों के लिए अब तक हालात में कोई बदलाव नहीं हैं।
पुल पर यातायात बंद हुए करीब 6 माह बीत जाने को हैं। इस पर पैदल चलने तक पर रोक लगाए जाने को भी अब 2 माह से ज्यादा हो चुके हैं। बरसात आरंभ हो चुका है। पहाड़ी नदी होने की वजह से चांदन में दो दिनों की बारिश में भी बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में बांका जिले के लोग इस नदी से होकर आवागमन करने को लेकर बुरी तरह संशय और आशंकाओं के बीच जीने पर विवश हैं। जिलेे के अंतर प्रांतीय मार्गों पर यातायात ठप है, सो अलग।
बांका जिले की दुर्दशा के लिए हम सब ज़िम्मेदार हैं। इसका जीता जागता उदाहरण सामने है। किसी भी नेता, आफिसर को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि नहीं, यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़े कर रही है। यह एक विडंबना है कि शहर के मुख्यालय को जोड़ने वाली पुल जर्जर हो गई और माननीय सब चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। समाज सेवी संस्थाएं भी चुप बैठी हुई है। आपने लगातार अपडेट दिया इसके लिए हम सब शुक्रगुजार हैं। साथ ही साथ आपके माध्यम से सरकार की विकास योजनाओं को लागू करने की दो तरफी मंशा पर सवाल खड़े करना चाहता हूं। धन्यवाद्