बांका लाइव डेस्क : बांका जिले के भौगोलिक क्षेत्र की प्राचीनता और इसकी ऐतिहासिकता को लेकर कोई संशय नहीं है। देवासुरों द्वारा सागर मंथन की पौराणिक कथासार से लेकर विंध्य पर्वत श्रृंखला की कड़ी ज्येष्ठगौरनाथ पहाड़ और भगवान बुद्ध से लेकर भगवान वासुपूज्य एवं योगपुरूष सद्गुरु श्यामाचरण लाहिरी तक की तपस्थली बांका जिले के भूगोल का कोई ना कोई हिस्सा रही है।
इस जिले के ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों पर भले ही पुरातत्व विभाग की उपेक्षा दृष्टि रही हो, लेकिन सभी विकास के नाम पर तो कभी निजी निर्माण कार्य के सिलसिले में होने वाली खुदाई अथवा खोज के दौरान समय-समय पर अनेक अनमोल ऐतिहासिक एवं पौराणिक अवशेष यहां मिलते रहे हैं।
इसी सिलसिले में बुधवार को बांका जिले के अमरपुर नगर पंचायत अंतर्गत डुमरामा क्षेत्र में एक तालाब की खुदाई के दौरान ऐतिहासिक मूर्ति मिलने का दावा किया गया है। यह मूर्ति खंडित है जो प्रथम दृष्टया देखने भगवान बुद्ध की मूर्ति प्रतीत होती है। मूर्ति का सिर गायब है, जबकि बाकी हिस्सा साबुत बचा है। मूर्ति के विभिन्न हिस्सों में कई धार्मिक चिह्न भी बने हुए हैं।
माना जा रहा है कि यह मूर्ति भगवान बुद्ध की है और तकरीबन एक हजार साल पुरानी है। हालांकि इसकी प्राचीनता की प्रामाणिकता तो इसकी पुरातात्विक जांच के बाद ही स्थापित हो सकती है। मूर्ति को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि शायद यह किसी जैन तीर्थंकर का भी हो। प्राचीन चंपापुरी और मंदार के मध्य का इलाका होने की वजह से यहां इसकी संभावना भी है। बहरहाल, इसकी सूचना प्रखंड के पदाधिकारियों को दी गई है। प्रशासनिक स्तर पर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
तालाब से मिली मूर्ति भगवान बुद्ध की होने के पीछे एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि मान्यताओं के मुताबिक भगवान बुद्ध भी अपने जीवन काल में डुमरामा से सटे प्राचीन भद्रनगर ग्राम (अब भदरिया गांव) के समीप चांदन नदी तट पर पहुंचे थे और कई दिनों तक रुक कर उन्होंने यहां अपने शिष्यों के साथ समय बिताए थे। मान्यता यह भी है कि भगवान बुद्ध ने कई जातक कथाओं का प्रतिपादन भी यहीं चांदन नदी के तट पर किया था।