बांका लाइव ब्यूरो : लॉकडाउन को लेकर बांका की सड़कों पर अघोषित कर्फ्यू की स्थिति कायम है। शहर के गली मोहल्लों में भी सन्नाटा पसरा है। लोग अपने घरों में कैद हैं। सड़कों पर पुलिस गश्त जारी है। रह रह कर सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस पेट्रोलिंग वाहनों के सायरन की गूंज ही लॉकडाउन के कारण सड़कों पर कायम नीरवता को भंग करती है।
लॉकडाउन का असर यहां के विभिन्न बाजार एवं दुकानों पर भी है। बाजार और दुकानें बंद हैं। शहर के शिवाजी चौक, गांधी चौक, विजयनगर चौक, शास्त्री चौक एवं आजाद चौक आदि आम तौर पर भीड़भाड़ से कोलाहल युक्त रहने वाले चौराहे भी बिल्कुल शांत और नीरव हैं। सड़कों पर हालांकि इक्के दुक्के रिक्शा, साइकिल, बाइक और पैदल चलते लोग दिखाई दे रहे हैं, लेकिन पुलिस मुस्तैदी से उनसे भी पूछताछ कर रही है।
स्पष्ट प्रशासनिक निर्देश और हिदायत के बावजूद बिना मास्क लगाए घरों से बाहर निकलने वालों से भी पुलिस अलग से निपट रही है। ऐसे लोगों से पूछताछ कर उनसे फाइन वसूला जा रहा है। ज्यादा हिमाकत दिखाने वालों से पुलिस के डंडे निपट रहे हैं। जिले के सभी प्रमुख कस्बों, बाजारों और मंडियों का भी यही नजारा है। मॉल, मंदिर, सरकारी दफ्तर एवं कोचिंग संस्थानों में ताले लटके हैं।
लॉक डाउन का सख्ती से पालन करने की हिदायत के साथ लगातार सड़कों पर माइकिंग की जा रही है। हालांकि इन्हीं हिदायतों को नजरअंदाज करते हुए सड़कों से अलग पुलिस और प्रशासन की नजरें छिपाते हुए जहां-तहां लोग बैठकें लगाकर ताश पत्ती आदि खेलते हुए लॉकडाउन की अवधारणा और इसके पीछे के मकसद को धता बताने पर भी अमादा हैं। वैसे पुलिस की योजना ऐसे लोगों से भी निपटने की है।
अनिवार्य एवं जीवनोपयोगी सेवाओं को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है। राशन पानी, दूध एवं सब्जियों आदि को भी लॉकडाउन के दायरे से बाहर रखा गया है। लेकिन इन्हें सुबह शाम खोलने की इजाजत दी गई है। वैसे, बांका में किस अवधि में इन दुकानों को खोलने की इजाजत है, यह स्पष्ट नहीं रहने की वजह से दुकानदारों और आम जरूरतमंद लोगों में संशय की स्थिति कायम है।