बांका

EXCLUSIVE : खतरे में बांका जिले की तीसरी लाइफ लाइन, चांदन व धौरी पुलों के बाद रेलवे पुल का भी धंस रहा पाया

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बांका लाइव ब्यूरो : बांका शहर के चांदन और बेलहर के धौरी स्थित बदुआ नदी के पुलों के बाद बांका- बाराहाट रेलखंड पर चांदन नदी पर स्थित रेलवे पुल पर भी खतरा मंडराने लगा है। पुल के कुछ पाए कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि ट्रेनों की आवाजाही फिलहाल प्रभावित नहीं हुई है, लेकिन जिस कदर नदी से बालू का बेतरतीब व्यावसायिक उत्खनन जारी है, उससे इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी दिन इस पुल से होकर ट्रेनों का परिचालन भी बंद करना पड़ सकता है और कि वह दिन बांका जिले के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा!

बांका स्थित रेलवे पुल का धंस रहा पाया

ज्ञात हो कि बांका जिले का लाइफ लाइन कहा जाने वाला बांका शहर से लगी चांदन नदी पर स्थित पुल पिछले 2 वर्षों से ध्वस्त है। हालांकि यह पुल बनने के सिर्फ 22 वर्षों में ही ध्वस्त हो गया जिसकी जांच की मांग समय-समय पर उठती रही है। पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद जिले के नेताओं की बयानबाजी से यहां के लोगों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही इसका पुनर्निर्माण होगा। कम से कम पक्की डायवर्सन तो जरूर बन जाएगा। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। ना तो पक्की डायवर्सन अब तक बना है और न ही पुल के पुनर्निर्माण का अब तक टेंडर ही हो सका है।

उधर विगत वर्ष बेलहर प्रखंड के धौरी गांव के समीप बदुआ नदी पर बना क्षेत्र के लिए लाइफलाइन कहा जाने वाला पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। तब इस पुल पर दीवार दे दी गई और इस होकर वाहनों के आने-जाने पर बिल्कुल रोक लगा दिया गया। इसे बांका जिले के पश्चिमी और मुंगेर जिले के पूर्वी हिस्से को जोड़ने वाला अंतरजिला सेतु भी कहा जाता है। फूल के ऊपर से वाहनों के आवागमन पर रोक के बाद दोनों जिलों की दूरी काफी बढ़ गई है।

इस बीच ताजा खबर यह है कि बांका बाराहाट रेलखंड पर जिला मुख्यालय शहर के उत्तर पश्चिमी कोने पर सैजपुर गांव के समीप चांदन नदी पर बना रेल पुल भी खतरे में है। नदी के इस हिस्से में बालू का बेहद बेतरतीब, खतरनाक और व्यावसायिक तरीके से ताबड़तोड़ उत्खनन होने से पुल के पाये दरकने लगे हैं। एक स्पान का पाया तो नीचे से काफी झुक गया है। बालू माफियाओं ने इस पुल के अस्तित्व को किसी भी तरह नहीं बख्शा। पुल के नीचे से भी बालू का उठाव लगातार जारी है। जिससे पुल की स्थिति दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है और यह कभी भी दम तोड़ सकता है।

इस बीच पुल के पाये के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी रात और दिन नदी से बालू का उत्खनन जारी है। किसी भी समय पुल के आसपास नदी में दर्जनों ट्रक और खुदाई करती जेसीबी मशीनें देखी जा सकती हैं। इलाके के लोग पुल की वर्तमान स्थिति और नदी के बेसिर पैर दोहन से उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस बात की चर्चा इलाके में जोर-शोर से है कि पुल कभी भी धंस जा सकता है। बरसात का पूरा मौसम अभी बाकी है। बारिश के दौरान यदि किसी तरह पुल की ऐसी तैसी हुई तो आशंका है कि बांका जिले की यह तीसरी लाइफ लाइन भी ध्वस्त हो जाएगी।


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