बांका लाइव ब्यूरो : अगर आप यह तस्वीर देख पा रहे हैं तो इस गांव और यहां के रहने वाले लोगों की परेशानी को लेकर बहुत कुछ शब्दों में बयां करने की जरूरत नहीं। तस्वीर इस गांव की सूरत- ए- हाल के आईने की तरह है जिससे निजात पाने की छटपटाहट गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक की भावनाओं से स्पष्ट महसूस किया जा सकता है।
लेकिन उनकी कौन सुने! सुनाने की तो उन्होंने हर संभव कोशिश की। आश्वासन भी मिले, भरोसा भी मिला और उम्मीद भी बंधी। लेकिन स्थिति जस की तस कायम रह गई। लिहाजा आज भी उन्हें अपने गांव तक पहुंचने के लिए नरक से होकर गुजरना पड़ता है। गांव वालों की उम्मीदें टूटने लगी हैं, भरोसा दरकने लगा है।
यह तस्वीर बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड अंतर्गत बीरनौधा पंचायत के कैथा मोड़ की है। यहां से होकर लोग कैथा गांव की ओर जाते हैं। आसपास के कई अन्य गांवों के लोगों के आने जाने का भी मार्ग यही है। लेकिन इस मार्ग की स्थिति लगातार नारकीय बनी हुई है। अन्य मौसम में तो फिर भी काम चल जाता है, लेकिन बारिश में इस होकर गुजरना किसी वैतरणी को पार करने से कम नहीं।
ग्रामीण कहते हैं कि अधिकारियों की दूर, उनके अपने जनप्रतिनिधि भी उनकी इन परेशानियों को नजरअंदाज करते रहे हैं। चुनाव के वक्त क्षेत्र में विकास की गंगा बहा देने का दंभ भरने वाले नेता चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं। जो उनके जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं, उन्हें भी उनकी परेशानी से कोई लेना-देना नहीं रह जाता।
क्षेत्र के विधायक जयंत राज फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं। और मंत्री भी ग्रामीण कार्य विकास विभाग के हैं। ग्रामीणों को ले देकर अब उनकी मेहरबानी की उम्मीद जरूर है, लेकिन जिस तरह उनकी उम्मीदें टूटती रही हैं, भरोसा दरकता रहा है, उन्हें नहीं लगता कि फिलहाल उन्हें इस नारकीय स्थिति से निजात दिलाने के लिए कोई आगे आने वाला।
मार्मिक स्वर में ग्रामीणों कि यह अभिव्यक्ति कि आखिर किससे करें उम्मीद, किस पर करें भरोसा.. उनकी आहत भावनाओं को रेखांकित करने के लिए काफी है। उनके भावाभिव्यक्ति में कहीं निराशा है तो कहीं असंतोष। और कई बार गुस्सा भी। एक युवा ग्रामीण अनुज राज ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस परेशानी को लेकर ग्रामीणों की ओर से अपने इस गुस्से का इजहार भी किया है।