बांका लाइव ब्यूरो : वैसे तो शारदीय नवरात्र पर आयोजित होने वाले दुर्गा पूजा की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। इस दिन पहली पूजा पर मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा आराधना के साथ नवरात्र प्रारंभ होती है। लेकिन बांग्ला पद्धति से जहां दुर्गा पूजा का अनुष्ठान होता है, वहां शारदीय दुर्गा पूजा की शुरुआत जीवित पुत्रिका यानी जिउतिया व्रत के पारण यानी अश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को ही हो जाती है।

इस तिथि को बोध नवमी भी कहते हैं। इस दिन भव्य शोभायात्रा के साथ मां दुर्गा के निमित्त कलश स्थापना की जाती है। इस दिन से देवी आराधना, पूजा पाठ, अनुष्ठान और चंडी पाठ का सिलसिला आरंभ हो जाता है, जो अगले 15 दिनों तक जारी रहकर महानवमी यानी आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को संपन्न होता है।
बांका जिले में ज्यादातर हिस्सों में बांग्ला पद्धति से ही शारदीय दुर्गा पूजा का अनुष्ठान संपन्न होता है। जिले के ज्यादातर देवी मंडप में मां दुर्गा की पूजा आराधना बांग्ला परंपरा और विधि विधान के साथ ही होती है। यही वजह है कि झारखंड की सीमा से लगे इस जिले में बोध नवमी पर कलश स्थापन के दिन से ही शारदीय दुर्गा पूजा का आध्यात्मिक उत्सव आरंभ हो जाता है।
बोध नवमी के अवसर पर आज बांका शहर के जगतपुर एवं करहरिया देवी मंडप में बोधन कलश की स्थापना की गई। इस अवसर पर कलश शोभायात्रा भी निकाली गई। करहरिया देवी मंडप की शोभायात्रा चांदन नदी से निकलकर जबकि जगतपुर देवी मंडप की शोभा यात्रा ओढ़नी नदी से निकलकर देवी मंडप पहुंची। इस अवसर पर देवी गीतों से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हुआ। देवी दुर्गा के जयकारे से वातावरण गूंज उठा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इन आयोजनों में हिस्सा लिया।

बोधन कलश स्थापना के अवसर पर कौड़ी लुटाने की भी परंपरा रही है जिसका आज भी पालन होता है। कौड़ी लूटने के लिए श्रद्धालु काफी उत्सुक एवं पहले से तैयार होते हैं। इस आयोजन की शुरुआत नदी तट पर मां की आराधना एवं कलश धारण से होती है। ढोल नगाड़े और बाजे गाजे के साथ श्रद्धालु कलश लेकर देवी मंडप पहुंचते हैं जहां कौड़ी लुटाया जाता है। बांका शहर के पुरानी ठाकुरबाड़ी एवं विजय नगर देवी मंडप में नवरात्रि कलश स्थापना प्रथम पूजा से होती है।
उधर बांका जिले के सुप्रसिद्ध तेलडीहा देवी मंडप गोड़धोवा देवी मंडप, रूपसा देवी मंडप, सिंघनान, कैरी, डुमरामा, मंझियारा आदि देवी मंडप में भी आज पारंपरिक रीति रिवाज एवं श्रद्धा भक्ति के साथ बोधन कलश की स्थापना की गई। इस अवसर पर कलश शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में ढोल नगाड़े एवं बाजे गाजे के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। जिन देवी मंडप में बोधन कलश स्थापन हुई है वहां आज से ही देवी दुर्गा की पूजा, अनुष्ठान एवं चंडी पाठ का सिलसिला आरंभ हो गया।





