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BANKA : रोटी की जुगाड़ में गुजरात गया था शख्स, आगे का हाल जानकर खड़े हो जाएंगे आपके भी रोंगटे

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अपने परिवार के लिए रोटी कमाने परदेस गए शख्स की जब यहां पहुंची लाश तो गांव में मच गया कोहराम

कटोरिया (रितेश सिंह) : मजदूरी कर अपने परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करने घर से हजारों किलोमीटर दूर गए महफूज के परिवार वालों को कहां पता था कि उनके घर का चिराग परदेस में महफूज नहीं है। गुजरात के वापी शहर में स्थित एलईडी बल्ब बनाने वाली जिस फैक्ट्री में वह काम करता था उसमें आग लग गई, जिसमें झुलस कर महफूज अंसारी की मौत हो गई। गुरुवार को उसका शव जब यहां पहुंचा तो परिवार के साथ साथ पूरे गांव में कोहराम मच गया।

महफूज अभी युवा था। उसकी उम्र करीब 30 वर्ष थी। परिवारवालों के मुताबिक पिछले करीब 10 वर्षो से वह गुजरात की उक्त फैक्ट्री में काम कर रहा था। वह बांका जिला अंतर्गत जयपुर थाना क्षेत्र के लेटवा गांव का रहने वाला था। लेटवा गांव में पिछले 3 दिनों से मातमी सन्नाटा पसरा है। गुरुवार को यहां के लोगों में मातमी सन्नाटे के बीच भी इस बात की बेचैनी जरूर थी क्योंकि महफूज अंसारी की लाश इस दिन यहां पहुंचने वाली थी।

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक सोमवार को काम करने के दौरान किसी तकनीकी कारण से फैक्ट्री में रखे ज्वलनशील रसायन पदार्थ के लीकेज के बाद विस्फोट हो गया। घटना में उसका 80 प्रतिशत शरीर का भाग झुलस गया। आनन- फानन में उसे इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई।

इधर गुरुवार को मजदूर का शव उसके गांव पहुंचा। शव पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया। बच्चों के रुदन और महिलाओं के करुण क्रंदन से पूरा गांव गूंज उठा। काफी संख्या में आसपास के ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे। मृत मजदूर की पत्नी मुलेखा बीबी अपने पति के शव से लिपटकर दहाड़ मार रही थी। मृतक की तीनों बेटियां अपने पापा को उठाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

जबकि बदकिस्मती की लकीर उस दुधमुंहे बेटे के माथे पर लिखी गई, जिसने अभी तक शायद एक बार भी पापा कहकर मृतक को पुकारा नहीं था। पिता की याद भी संजो कर रखने की उम्र नहीं है उसकी। महज एक वर्ष की आयु में उसके सिर से पिता का साया उठ गया। बच्चों को अंदाजा भी नहीं था कि उसने जीवन की तकलीफों से बचाने वाले पिता के छांव को खो दिया है।

पिता के शव के पास बिलखते बच्चों को देख मौके पर मौजूद सभी की आंखे भी छलछला उठी। जबकि पिता समतली मियां का रो- रोकर बुरा हाल था। अपने जवान बेटे को जनाजे में कंधा देने की बात सोचकर वह कांप रहा था। जिस किसी ने इस मार्मिक दृश्य का साक्षात्कार किया, उसके रोंगटे खड़े हो गए। हर किसी की जुबान पर बस एक ही चर्चा थी- इस हादसे के बाद महफूज के परिवार का क्या होगा!


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