बांका लाइव ब्यूरो : बांका जिले में सर्पदंश से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। बारिश का मौसम उतरते ही बांका जिले में सर्पदंश का खतरा काफी बढ़ जाता है। वैसे तो जंगलों, पहाड़ों और पहाड़ी नदियों की पृष्ठभूमि वाले इस जिले में सालों भर सर्पदंश की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन बारिश के मौसम में इसकी फ्रीक्वेंसी काफी बढ़ जाती है और जिले भर में इस तरह दर्जनों लोग हर वर्ष अकाल मौत के शिकार होते हैं। एक बात और कि ऐसे मामलों में मौत की ज्यादातर घटनाएं झाड़-फूंक के चक्कर में होती हैं। इसके पीछे लोगों में जागरूकता का भी अभाव बताया जाता है।
बांका जिले में पिछले 2 दिनों के भीतर सर्पदंश से कम से कम 3 लोगों की मौत हो चुकी है। ये वे तीन लोग हैं जिनकी मौत की खबर समाचार माध्यमों तक पहुंची। वरना बहुत सारे मामले तो ईश्वर की मर्जी मानकर लोग इसकी बहुत चर्चा भी नहीं करते। ताजा जानकारी के मुताबिक बेलहर प्रखंड के बकरार गांव में बुधवार को सर्पदंश से 45 वर्षीय एक महिला सरोजनी देवी की मौत हो गई। वह इसी गांव के भैरव पंडित की पत्नी थी। बताया गया कि खेत से सब्जी तोड़ने के दौरान किसी अज्ञात विषैले सांप ने उसे डंस लिया।
सर्पदंश के बाद महिला को परिजन झाड़-फूंक के लिए तिलकपुर गांव ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। इससे पहले जिले के धोरैया एवं चांदन प्रखंड में दो अलग-अलग घटनाओं में 13 वर्ष की एक छात्रा समेत दो लोगों की मौत सर्पदंश से हो गई। धोरैया प्रखंड के धनकुंड गांव में खाना बनाने के दौरान लक्ष्मी कुमारी नामक एक 13 वर्षीय छात्रा को किसी सांप ने डंस लिया जिससे बाद में उसकी मौत हो गई।
जबकि इसी दिन चांदन प्रखंड के आनंदपुर क्षेत्र में मुसहराडीह गांव के एक युवक की मौत सर्पदंश से हो गई। मृतक का नाम सिकंदर पासवान बताया गया है जो शौच के लिए घर से कुछ दूर खेतों में गया था। वापसी में उसकी तबीयत बिगड़ गई। बताया गया कि किसी विषैले सांप ने उसे डंस लिया था। आखिरकार उसकी मौत हो गई। खास बात है कि इस जिले में सर्प या बिच्छू दंश के बाद लोग तुरंत दवा और चिकित्सा के लिए अस्पताल ले जाने की बजाय काफी समय झाड़-फूंक या इधर-उधर में निकाल देते हैं जिससे पीड़ित की स्थिति बिगड़ जाती है। ऐसे मामलों में मौतों की ज्यादातर घटनाएं इसी वजह से हो रही हैं।