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BANKA : स्व दिग्विजय सिंह की सियासी विरासत पर छुटभैये नेताओं की नजर

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बांका लाइव डेस्क : जनप्रतिनिधि की हैसियत से बांका के लिए बहुत कुछ करने वालों की फेहरिस्त में प्रख्यात समाजवादी चिंतक एवं पूर्व सांसद मधु लिमए एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर सिंह जैसी शख्सियतों के नाम भी शामिल हैं, लेकिन क्षेत्र के लिए बहुत कुछ करते हुए जिस अपनेपन से यहां के लोगों के दिलों में अपनी स्थायी जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं क्षेत्र के पूर्व सांसद स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने बनाई, उसकी यहां कोई और मिसाल नहीं।

स्व दिग्विजय सिंह

जन-जन के बीच दादा के रूप में मशहूर स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने इस क्षेत्र में जनहित से जुड़े मुद्दों के समाधान की जो सियासी रवायत कायम की, वह भी लोगों के बीच अपनेपन के भाव से, वह विरासत अब भी यहां कायम है। और इस विरासत की तत्कालीन सघनता आज तक रत्ती भर विरल नहीं हुई।

यही वजह है कि बांका संसदीय क्षेत्र की सियासत में स्वर्गीय दिग्विजय सिंह उर्फ़ दादा का नाम आज एक बैनर बन चुका है, जिसकी मौजूदगी किसी सियासी इंतखाब में किसी के लिए भी विजय ध्वज से कम हैसियत नहीं रखती। ऐसे कई अवसरों पर स्व दिग्विजय सिंह के सिर्फ़ नाम भर की हैसियत की पुष्टि हो चुकी है।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में नीतीश कुमार के नेतृत्व को चुनौती देते हुए स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने बांका से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़कर अपनी सियासी हैसियत की स्थापना कर दिखाई थी। इसके अगले ही वर्ष स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी पुतुल सिंह बांका से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ीं और भारी बहुमत से अपनी जीत दर्ज की।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एक त्रिकोणीय मुकाबले में भले ही राजद प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव बांका से चुनाव जीत गए लेकिन तब दूसरे स्थान पर रहते हुए पूर्व सांसद पुतुल सिंह ने राजद प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और महज कुछ हजार मतों के लिए पीछे रह गई थीं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पुतुल कुमारी का टिकट कट गया और उन्होंने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की।

इस चुनाव में मोदी तूफान के बावजूद पुतुल सिंह को एक लाख से ज्यादा मत मिले। यह उपलब्धि में पूर्व सांसद पुतुल सिंह के क्षेत्र के लिए किए गए योगदान के साथ-साथ स्वर्गीय दिग्विजय सिंह के नाम और उनकी राजनीतिक विरासत का भी भरपूर योगदान रहा।

विडंबना यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बांका में जन जन के नेता के रूप में स्थापित स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की विरासत को हड़पने की साजिश शुरू हो गई है। हाल के महीनों में कुछ अति महत्वाकांक्षी छुटभैये नेता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की विरासत को अपने नाम करने की साजिश में जुट गए हैं। इस साजिश का इल्म पूर्व सांसद पुतुल सिंह और उनके परिवार वालों को भी है।

विगत 18 जनवरी को मंदार महोत्सव के अंतिम दिन पारंपरिक रूप से होने वाले दिग्विजय मंदार मैराथन को इस बार हालांकि आधिकारिक तौर पर पूर्व सांसद पुतुल सिंह एवं गिद्धौर फाउंडेशन ने आयोजित नहीं किया, लेकिन कुछ लोगों ने अपना नेम फेम बनाए रखने के लिए इसका आयोजन करने की ठानी और पुतुल सिंह से इसकी अनुमति भी मांगी।

गुड फेथ में पुतुल सिंह ने इस आयोजन की अनुमति तो दे दी लेकिन वह स्वयं इस आयोजन से दूर ही रहीं। इसके पीछे उन्होंने कई वजह बताए। अलबत्ता, उनकी अनुपस्थिति में यह आयोजन स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की विरासत को हड़पने की साजिश का वर्कशॉप बनकर रह गया। इस आयोजन के दौरान उस राजनीतिक दल के कार्यक्रम का भी जमकर प्रचार-प्रसार किया गया जिसकी साजिश का शिकार पहले स्वर्गीय दिग्विजय सिंह और बाद में स्वयं पुतुल सिंह भी हुईं।

बहरहाल, पूर्व सांसद पुतुल सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की विरासत अक्षुण्ण है और इस पर कोई सेंध नहीं लगा सकता, और ना ही इस बात की अनुमति किसी को दी जा सकती है। स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने इस क्षेत्र में जन-जन के हृदय में अपना स्थान बनाने के लिए जो कुर्बानी दी है, उसे बेजा नहीं जाने दी जाएगी।


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