बांका लाइव डेस्क : बांका को आखिर हुआ क्या है? बड़ी संख्या में लोग डिप्रेशन अटैक के शिकार हो रहे हैं। इसे पागलपन कहें या जीवन के प्रति निराशा.. लोग जाने अनजाने जिंदगी के खिलाफ बेहद गलत कदम उठा रहे हैं। जिले में खुदकुशी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। खास बात है कि खुदकुशी करने वाले हर उम्र वर्ग के लोग हैं। ये सामाजिक मनोविज्ञान के बेहद खतरनाक संकेत हैं।
अब समय आ गया है कि इस मसले पर सघन और समेकित अनुसंधान हो। समस्या का निदान निकले। लोगों में आशा और उत्साह का संचार हो। जीवन और समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। हर उम्र के लोगों द्वारा उठाए जा रहे खुदकुशी के कदम जिले के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। आखिर कुछ तो कारण होंगे! कारण की पहचान हो और उनका निराकरण भी..!
ताजा मामला बांका सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत लकड़ीकोला गांव का है जहां एक बुजुर्ग दंपति ने जहर खाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। शुक्रवार को गांव के घनश्याम यादव एवं उनकी पत्नी गीता देवी ने घर से बाहर जाकर लकड़ीकोला फार्म के पास जहर खा ली। घर वालों को पता चला तो वे दौड़ते हुए वहां गए।
लेकिन तब तक स्थिति बिगड़ चुकी थी। गीता देवी की मौत हो चुकी थी जबकि घनश्याम यादव की हालत गंभीर थी। गंभीर हालत में उन्हें बांका सदर अस्पताल लाया गया। लेकिन उनकी स्थिति बिगड़ती देख डॉक्टरों ने उन्हें भागलपुर रेफर कर दिया। घरवालों के मुताबिक भागलपुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
मृतक घनश्याम यादव का भरा पूरा परिवार है। शत्रु यादव के पुत्र घनश्याम यादव और बहू गीता देवी का बेटे बेटी और नाती पोतों से भरा पूरा गुलजार परिवार है। ऐसे में खुदकुशी के उनके फैसले के पीछे की वजह को लोग समझ नहीं पा रहे। गांव के लोग अवाक हैं। चर्चा है कि पारिवारिक विवाद की वजह से इस दंपति ने खुदकुशी का फैसला लिया होगा। लेकिन क्या सिर्फ पारिवारिक विवाद की वजह से इस वृहत्तम फैसले का कोई औचित्य है?
अब समय आ गया है कि समाज में लगातार उठ रहे ऐसे कदमों की गति पर विराम लगाने के लिए सद्भावना अभियान चलाए जाएं। पीड़ित पक्ष को भी इस विषय पर सोचना चाहिए कि क्या वे सही कदम उठा रहे हैं? जीवन से इस तरह कायरतापूर्ण पलायन से क्या किसी विवाद, परेशानी या प्रतिकूल परिस्थितियों का समाधान हो सकता है? ऐसे कदमों के पीछे मूल वजह तात्कालिक क्रोध या आवेग माने जा सकते हैं, लेकिन नहीं क्रोध या आवेग की स्थिति में भी कुछ देर धीरज रखिए.. सोचिए… लंबी सांसे लीजिए और फिर समय की प्रतीक्षा कीजिए। सब कुछ स्वतः ठीक हो सकता है। खुदकुशी के बारे में तो सोचिए भी मत। इसे मानव जीवन के निकृष्टतम निर्णय का दर्जा प्राप्त है। कोई भी इसे जस्टिफाई नहीं कर सकता।