पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) : किसी भी राष्ट्र के सच्चे निर्माण के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है वहां की शिक्षा के क्षेत्र को उन्नत करना ताकि किसी के लिए भी शिक्षा न तो अछूता रह सके और न ही वो किसी भी जात-पात और विभिन्न भाषों के मकड़जाल में उलझ कर रह सके l

अगर बिहार कि बात की जाए तो यह राज्य शिक्षा के मामले में आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है l बिहार को शिक्षा के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है और इसी सन्दर्भ में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने विगत वर्ष यह फैसला लिया था कि बिहार की वर्तमान शिक्षा नीति में थोड़े बदलाव जरूरी हैं l
इस बाबत स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) ने बिहार के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव की बात कही थी l स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने फैसला लिया था कि बिहार के प्राथमिक , माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक विद्यालयों में नई शिक्षा निति के तहत बच्चों के पाठ्यक्रम को स्थानीय भाषाओं में तैयार किया जायेगा l
अब ये खबर आ रही है कि नई शिक्षा निति 2020 के तहत बिहार के बच्चों के लिए उनके स्थानीय भाषाओं में पाठ्यक्रम को तैयार करने की शुरुआत SCERT कर चुकी है l स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इसके लिए सबसे पहले सूबे भर के प्राथमिक, माध्यमिक-उच्च माध्यमिक कक्षाओं के बच्चों द्वारा बोली जाने वाली स्थानीय की जानकारी इकठ्ठी करेगी और उस भाषा के शब्दों को संकलित करेगी तथा उसके बाद आगे का कार्य किया जायेगा l
एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक ने राज्य के सभी डीईओ से उनके जिले में बोली जाने वाले स्थानीय भाषाओँ की जानकारी इकट्ठा करने के आदेश जारी कर दिये हैं l इससे सम्बंधित पत्र डायट , बायट , सीटीई और पीटीईसी के प्राचार्यों को भेज दिया गया है l संयुक्त सचिव के अनुसार इस नई शिक्षा निति को पटल पर लाने के लिए ये सूचना सभी तक पहुँचानी अति आवश्यक है l