बांका लाइव ब्यूरो : बेशक बांका पुराण वर्णित क्षेत्र है। प्राचीन काल में दारुक वन के लिए प्रसिद्ध रहे बांका क्षेत्र को सागर मंथन से लेकर महर्षि अष्टावक्र की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। यहां की चीर, चांदन और ओढ़नी जैसी नदियों को सृष्टि का पोषक माना जाता रहा है। समय-समय पर बांका जिले के विभिन्न हिस्सों में पुरातात्विक महत्व के अवशेषों का सामने आना कोई नई बात नहीं। उत्तर प्राचीन काल में महात्मा बुद्ध से लेकर आधुनिक ऐतिहासिक काल में चैतन्य महाप्रभु और महर्षि भूपेंद्र नाथ सान्याल तक ने इस क्षेत्र के नैसर्गिक व पौराणिक महत्व को स्वीकार करते हुए यहां का परिभ्रमण किया और कुछ तो यहीं के होकर रह गए।
ऐसे में उन महर्षियों और महात्माओं से जुड़ी चीजें यहां खोजबीन में सामने आए तो इसमें विस्मय में जैसी क्या बात हो सकती है। बहरहाल हम चर्चा करते हैं इस सिलसिले की उस नई कड़ी की, जिसने बांका जिले की पौराणिक चांदन नदी और प्राचीन भद्रीय ग्राम (आज का भदरिया गांव) को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। मामला बांका जिले के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत भदरिया गांव के समीप चांदन नदी के तल में एक विस्तृत क्षेत्र में फैले प्राचीन भवन के अवशेष मिलने का है, जिसके बारे में तर्क दिए जा रहे हैं कि यह बुद्ध कालीन भवन हो सकते हैं जो नदी की धार में विलीन हो गए होंगे।
छठ पर्व को लेकर घाट बनाने गांव के कुछ युवक भदरिया गांव से ठीक सटे पूरब बहने वाली प्राचीन चांदन नदी की ओर गए थे। घाट बनाने के दौरान उन्होंने प्राचीन शैली की ईंटों से बनी दीवारों की श्रृंखला नदी के तल में देखी। उत्सुकता होने पर उन्होंने आसपास की तलाश की। करीब डेढ़ हजार स्क्वायर फ़ीट में फैले इस स्ट्रक्चर के अलावा फ़िलहाल वहां उन्हें कुछ और ना मिला।
इस बात की चर्चा आसपास के इलाके में फैल गई। कुछ जानकार और कुछ जानकारी हासिल करने के इरादे से नदी में पहुंचने लगे। ज्यादातर लोग इस मान्यता को समर्थन कर रहे थे कि यह महात्मा बुद्ध के काल में बनाया भवन हो सकता है। यह भी हो सकता है कि यहां बौद्ध धर्म का कोई प्रचार केंद्र या विहार रहा हो। वैसे बौद्ध साहित्य और धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान बुद्ध की एक प्रिय शिष्य विशाखा इसी भदरिया गांव की रहने वाली मानी जाती है। भदरिया गांव बुद्ध काल में भद्रीय के रूप में जाना जाता था। भगवान बुद्ध के भी इस गांव में आने, ठहरने और धर्म प्रचार के उल्लेख बौद्ध साहित्य एवं धर्म ग्रंथों में मिलते हैं।
वैसे चांदन नदी में मिले इस अवशेष को लेकर किसी ठोस निष्कर्ष पर इसके व्यापक पुरातात्विक अध्ययन के बाद ही पहुंचा जा सकता है। नदी में जो स्ट्रक्चर मिले हैं, वे हस्त निर्मित बड़ी बड़ी ईट से बने हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब दर्जनभर कमरेनुमा स्ट्रक्चर नदी के बीच हैं। कुछ अन्य अवशेष भी मिले हैं जिन्हें सुरक्षित रखा गया है। इस कथित पुरातात्विक अवशेष के मिलने की खबर के बाद अनुमंडल दंडाधिकारी मनोज कुमार चौधरी तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी दिनेश चंद्र श्रीवास्तव ने भी मौके का मुआयना किया। उन्होंने चर्चित स्थल को अपनी निगरानी में रखने का पुलिस को आदेश दिया है। इस संबंध में पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को भी सूचित किया गया है, जहां से विशेषज्ञों के आने के बाद इस पूरे प्रकरण पर अनुसंधान किया जाएगा।