नमस्ते

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वे अज्ञानी थे, क्योंकि ‘नमस्ते’ कहकर स्पर्श से बचते थे!

व्यंग्य/ विनय चतुर्वेदीवे अज्ञानी थे। नमस्ते और नमस्कार कह कर स्पर्श से बचते थे। साथ में लोटा और पानी रखते…

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