व्यंग्य

राष्ट्रीय

‘मोदी जी, इतने बड़े-बड़े पत्थरों का क्या इस्तेमाल करते हो आपलोग ?’

‘बड़ी मेहरबानी, दोस्त। हम इसे तोड़कर पहले पांच-दस गज ज़मीन बनाएंगे और फिर इसपर अपनी सेना तैनात कर देंगे। आप…

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अन्य

वे अज्ञानी थे, क्योंकि ‘नमस्ते’ कहकर स्पर्श से बचते थे!

व्यंग्य/ विनय चतुर्वेदीवे अज्ञानी थे। नमस्ते और नमस्कार कह कर स्पर्श से बचते थे। साथ में लोटा और पानी रखते…

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