‘बड़ी मेहरबानी, दोस्त। हम इसे तोड़कर पहले पांच-दस गज ज़मीन बनाएंगे और फिर इसपर अपनी सेना तैनात कर देंगे। आप…
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व्यंग्य/ विनय चतुर्वेदीवे अज्ञानी थे। नमस्ते और नमस्कार कह कर स्पर्श से बचते थे। साथ में लोटा और पानी रखते…
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