नालंदा

पत्रकार राजीव रंजन को मिली कोर्ट से जमानत, हुई न्याय की जीत

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बेहद गैर जिम्मेदाराना तरीके से नालंदा पुलिस ने तीन दिन पूर्व किया था पत्रकार राजीव रंजन को गिरफ्तार, पुलिस के इस मनमाने रवैया को लेकर पत्रकारों में था भारी असंतोष, आरंभिक दौर में पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर अधिकारी वर्ग भी नहीं दे पा रहे थे कोई जवाब, जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित पर्चा आउट मामले में दर्ज कराई गई थी बेसिर-पैर की प्राथमिकी..

बांका लाइव ब्यूरो : बिना किसी ठोस वजह के गिरफ्तार कर लिए गए नालंदा के पत्रकार राजीव रंजन को आज जमानत मिल गई। नालंदा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पत्रकार राजीव रंजन को जमानत दी। पत्रकार राजीव रंजन की गिरफ्तारी तीन दिन पूर्व नालंदा पुलिस ने की थी। गिरफ्तारी क्यों की गई, इस बात का आरंभिक तौर पर कोई जवाब पुलिस के पास नहीं था। पत्रकारों द्वारा हो हल्ला मचाने के बाद पुलिस बैकफुट पर लौटी तो बात कुछ स्पष्ट हो पाई।

बताया गया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी के आधार पर पत्रकार की गिरफ्तारी की गई है। हालांकि प्राथमिकी बेहद हल्के-फुल्के ढंग की बताई गई, जिसमें पर्चा आउट मामले को पत्रकार द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने की बात कही गई है। इस बात को लेकर नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखकर पत्रकार की रिहाई तथा दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई थी।

नालंदा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पत्रकार राजीव रंजन की ओर से दायर जमानत याचिका पर आज सुनवाई हुई। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने मामले पर न्याय पूर्वक विचार करते हुए पत्रकार राजीव रंजन को आज जमानत दी। इस बीच नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय संरक्षक प्रोफेसर डॉक्टर जितेंद्र कुमार सिंह तथा राष्ट्रीय महासचिव कुमुद रंजन सिंह पत्रकार राजीव रंजन के परिवार से मिलने पहुंचे।

पत्रकार की जमानत कराने में आरटीआई कार्यकर्ता पुरुषोत्तम प्रसाद की प्रमुख भूमिका रही। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अरविंद कुमार ने भी इस मामले में पत्रकार की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश भारतीय ने इस मामले को सबसे पहले जोर-शोर से उठाया था। पत्रकार की जमानत पर रिहाई के बाद वरिष्ठ पत्रकार मुकेश भारतीय ने कहा कि यह न्याय की जीत है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में पुलिस और प्रशासन की मनमानी और दादागिरी से पत्रकारों की आवाज दबने वाली नहीं।


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